लखनऊ I मशहूर उर्दू शायर मुनव्वर राणा का आज शाम लखनऊ में निधन हो गया. वे लम्बे समय से बीमार चल रहे थे. उनके जाने से साहित्य जगत में शोक की लहर छा गई है. मुनव्वर राना 71 वर्ष के थेI बीते दिनों किडनी संबंधित परेशानियों के बाद उन्हें लखनऊ स्थित एसजीपीजीआई में भर्ती कराया गया था. यहां वह आईसीयू वार्ड में भर्ती थेI रविवार देर रात साढ़े 11 बजे के आसपास उन्होंने अंतिम सांस लीI उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव सहित अनेक दिग्गज नेताओं ने शोक जताया I प्रधानमंत्री ने शोक जताते हुए सोशल मीडिया एक्स पर लिखा -श्री मुनव्वर राणा जी के निधन से दुख हुआ। उन्होंने उर्दू साहित्य और कविता में समृद्ध योगदान दिया। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं। उसकी आत्मा को शांति मिलें।
वहीं निधन के तुरंत बाद पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लिखा –
तो अब इस गांव से
रिश्ता हमारा खत्म होता है
फिर आंखें खोल ली जाएं कि
सपना खत्म होता है।
देश के जानेमाने शायर मुन्नवर राना जी का निधन अत्यंत हृदय विदारक।
दिवंगत आत्मा की शांति की कामना।
भावभीनी श्रद्धांजलि।
मुनव्वर राणा का जन्म 26 नवंबर 1952 को रायबरेली, उत्तर प्रदेश में हुआ था. उन्होंने अपनी साहित्यिक यात्रा ग़ज़ल से शुरू की और अपनी लेखनी से उर्दू शायरी को नया मुकाम दिया. उनकी कविताओं में सामाजिक सरोकार, मानवीय संवेदनाएँ और प्रेम की गहराइयाँ बड़ी खूबसूरती से उभरती हैंI उनकी रचनाओं में ‘शहदबा’, ‘मैं और मेरी ज़िंदगी’, ‘बेकरारी का सुकून’, ‘मौसम बदलते हं’ और ‘आखिरी सवाल’ जैसी कृतियां शामिल हैंI
मुनव्वर राणा को उनके लेखन के लिए साल 2014 में प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. 2012 में शहीद शोध संस्थान द्वारा माटी रतन सम्मान (Maati Ratan Samman) से सम्मानित किया गया था. उन्होंने लगभग एक साल बाद अकादमी पुरस्कार लौटा दिया था. साथ ही बढ़ती असहिष्णुता के कारण कभी भी सरकारी पुरस्कार स्वीकार नहीं करने की कसम खाई थीI
मुनव्वर राणा की शायरी को न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में सराहा जाता था. वे मुशायरे के मंच पर अपनी बेबाक शायरी से सबको मंत्रमुग्ध कर देते थेI