पेंशनर्स बोले, मुख्यमंत्री जी पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करिये

लम्बित मुद्दों को लेकर सभी जिला मुख्यालयों पर पेंशनरों का धरना 27 को,  जिलाधिकारियों के माध्यम से मुख्यमंत्री को सौपेंगे अनुस्मारक ज्ञापन

लखनऊ। प्रदेश के लाखों सेवानिवृत्त कर्मचारियों एवं पेंशनर्स के प्रतिनिधि संगठन सेवानिवृत्त कर्मचारी एवं पेंशनर्स एसोसिएशन उप्र के आवाह्न पर अपने वाजिब लम्बित मुद्दों पर सरकार का ध्यानाकर्षण कराने के लिये पेंशनर प्रदेश के समस्त जनपद मुख्यालयों पर 27 अक्टूबर को कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुये धरना देंगे।

फोटो: साभार गूगल

मांगो का ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को सौंपेगे। मांग पत्र सहित धरना कार्यक्रम की नोटिस संगठन के प्रदेश अध्यक्ष अमरनाथ यादव द्वारा मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव एवं अपर मुख्य सचिव वित्त/कार्मिक शासन को भेज दी गई है।

यह हैं मांगें

संगठन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बीएल कुशवाहा एवं संयुक्त मंत्री ओपी त्रिपाठी ने जारी बयान में कहा कि जनवरी 2020 से फ्रीज मंहगाई भत्ता/मंहगाई राहत को बहाल कर पूर्व की भांति भुगतान करने, एनपीएस को समाप्त कर पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने, राशिकृत धनराशि की कटौती जिसकी भरपाई 98 माह में पूरी हो जाती है, की कटौती 15 साल तक करने की बजाय 10 वर्ष पर राशिकृत पेंशन बहाल करने, सभी रोगों के इलाज हेतु कैशलेश व्यवस्था लागू करने, मुख्य चिकित्सा अधिकारियों के स्तर पर चिकित्सा प्रतिपूर्ति के बिल, बाउचर्स के तकनीकी परीक्षण हेतु अधिकतम 07 दिन की समय सीमा निर्धारित करने, आश्रितों के लिये आय, आयु एवं साथ रहने की शर्त हटाने, 30 जून को सेवानिवृत्त कार्मिक को एक अतिरिक्त वेतन वृद्धि देने, पेंशनर सलाहकार समिति की बैठक में बनी सहमति अनुसार चिकित्सा व्यय प्रतिपूर्ति सम्बन्धी जीओ दिनांक 31-07-2015 को समाप्त कर भुगतान की पूर्व व्यवस्था का आदेश जारी करने, एन0पी0एस0 से आच्छादित कर्मचारियों द्वारा पारिवारिक पेंशन का विकल्प देने पर, टियर खाते में जमा धनराशि सरकार द्वारा जब्ज करने के बजाय मृतक आश्रितों को भुगतान करने, निजी अस्पतालों में इलाज कराने पर 01 माह में सूचना देने और आकस्मिकता द्वारा प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने की शर्त समाप्त करने, कार्यालयों में 02 पंजिका जिसमें एक में सेवानिवृत्तिक देयकों का भुगतान और दूसरे में चिकित्सा प्रतिपूर्ति दावों का पूर्ण विवरण हो, संरक्षित किये जाने, कोषागार से निर्गत दो फोल्ड के परिचय पत्र के स्थान पर स्मार्ट कार्ड जारी करने, पेंशनरों का एकाकीपन दूर करने के लिये 02 वर्ष पर देशाटन की सुविधा प्रदान करने और 65, 70 व 75 वर्ष की आयु पर पेंशन में क्रमशः 5, 10 व 15 प्रतिशत वृद्धि करने, पेंशनर की मृत्यु पश्चात् कोई वसूली उसके पारिवारिक पेंशनर से नहीं करने, वरिष्ठ नागरिकों को परिवहन निगम की बसों में यात्रा पर किराये में 50 प्रतिशत छूट देने, जिलाधिकारी के स्तर पर पेंशनरों के मुद्दों पर प्रत्येक तीन माह में समीक्षा बैठक आयोजित करने, कार्मिक द्वारा, दैनिक वेतन, संविदा, आकस्मिक, वर्कचार्ज, तदर्थ किसी भी रूप में की गई सेवाओं को पेंशनरी लाभ के लिये जोड़े जाने एवं अलीगढ़ मंडल में अपर निदेशक पेंशन कार्यालय की स्थापना तथा लखनऊ में प्रदेश संगठन को कार्यालय आवंटन आदि मांगों पर राज्य सरकार उदासीन है, जिससे लाखों पेंशनर्स की कठिनाइयों का निराकरण नहीं हो रहा है। इससे उनमें असन्तोष बढ़ रहा है।