दो दिनों में दूसरी बार, कई विपक्षी सांसदों ने मंगलवार को भी वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति की बैठक से बहिर्गमन किया। इसके साथ ही उन्होंने भाजपा सदस्यों पर उनके खिलाफ अपमानजनक भाषा का प्रयोग करने का आरोप भी लगाया। वहीं सत्ता पक्ष के सांसदों ने आरोप लगाया है कि विपक्षी सदस्यों ने समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल के खिलाफ ऐसी भाषा का प्रयोग किया।
सोमवार को कर्नाटक राज्य अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व पदाधिकारी और भाजपा नेता द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पर कथित तौर पर वक्फ भूमि आवंटन को लेकर टिप्पणी करने के बाद विपक्षी सांसदों ने सदन से बहिर्गमन किया था।
विपक्षी सांसदों ने खड़गे का नाम लिए जाने पर आपत्ति जताई। सूत्रों ने बताया कि सांसदों का मानना है कि राज्यसभा में विपक्ष के नेता के खिलाफ टिप्पणी की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
वॉकआउट करने वाले विपक्षी सांसदों में से शिवसेना (यूबीटी) के सांसद अरविंद सावंत ने एक समाचार पत्र से बातचीत करते हुए कहा कि संसदीय समिति को नियमों और विनियमों के अनुसार चलाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ नैतिकताएं होती हैं। अगर इनका पालन नहीं किया जाता है, तो हम बहिष्कार करेंगे। हमने आज यही किया है। उन्होंने कहा कि वे इस मुद्दे पर और कुछ नहीं कह सकते।
विपक्षी सांसदों ने कर्नाटक भाजपा नेता अनवर मणिप्पादी का हवाला देते हुए कहा कि वह अपने आरोपों को प्रमाणित नहीं कर सके।
विपक्षी सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर पूछा है कि समिति के अध्यक्ष भाजपा के जगदम्बिका पाल ने ऐसी टिप्पणियों की अनुमति क्यों दी।
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मंगलवार को अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के अधिकारियों को समिति के समक्ष विधेयक पर मौखिक साक्ष्य देना था।
अतीत में भी विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया था कि हितधारकों की बात नहीं सुनी जा रही है और कार्यवाही के नाम पर राजनीति की जा रही है।