भारत में हर साल टीबी के लाखों मामले सामने आते हैं। इस रोग के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए हर साल 24 मार्च को विश्व क्षयरोग दिवस मनाया जाता है।
टीबी से जुड़ी जरूरी जानकारी और सावधानियां
टीबी की बीमारी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु की वजह से होती है। इसे क्षयरोग भी कहा जाता है। भारत में हर साल टीबी के लाखों मामले सामने आते हैं। आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2019 में भारत में टीबी के 24.04 मामले सामने आए थे, जबकि 79,144 लोगों की मौत इस रोग की वजह से हुई थी। टीबी के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए हर साल 24 मार्च को विश्व क्षयरोग दिवस मनाया जाता है।

इसे विश्व तपेदिक दिवस भी कहा जाता है। हर साल इसकी अलग-अलग थीम भी निर्धारित की जाती है। वर्ष 2021 में विश्व क्षयरोग दिवस की थीम “द क्लॉक इज टिकिंग” है, जिसका लक्ष्य लोगों को ये समझाना है कि समय लगातार अपनी गति से बढ़ रहा है, इसलिए यही समय है कि इस रोग को जड़ से समाप्त किया जाए। आइए वर्ल्ड ट्यूबरक्लोसिस डे 2021 के मौके पर जानते हैं इस रोग से जुड़ी वो हर बात जो आपके लिए जानना जरूरी है।
हर टीबी संक्रामक नहीं होती
टीबी को आमतौर पर एक संक्रामक रोग माना जाता है, लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हर टीबी संक्रामक नहीं होती है। दरअसल टीबी दो तरह की होती है, पल्मोनरी टीबी और एक्सट्रा पल्मोनरी टीबी। पल्मोनरी टीबी फेफड़ों को प्रभावित करती है, जबकि एक्सट्रा पल्मोनरी टीबी शरीर के दूसरे अंगों में होती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक पल्मोनरी टीबी संक्रामक होती है। ये रोगी के जरिए दूसरे लोगों को भी संक्रमित करती है, जबकि एक्सट्रा पल्मोनरी टीबी के मरीजों से दूसरे लोगों को संक्रमण का खतरा नहीं होता। चूंकि करीब 70 फीसदी मरीज पल्मोनरी टीबी के शिकार होते हैं, इसलिए ये आम धारणा बन गई है कि टीबी संक्रामक होती है।
ऐसे फैलती है पल्मोनरी टीबी
पल्मोनरी टीबी के मरीज की सांस में बैक्टीरिया होते हैं। ये बैक्टीरिया रोगी के खांसने, बात करने, छींकने, थूकने और मुंह खोलकर बोलने पर हवा में आ जाते हैं और कई घंटों तक हवा में रहते हैं। ऐसे में जब कोई स्वस्थ व्यक्ति उस हवा के संपर्क में आता है तो सांस के जरिए ये बैक्टीरिया उसके अंदर भी प्रवेश कर जाते हैं और उसे संक्रमित कर देते हैं।
इन लक्षणों से करें पहचान
पल्मोनरी टीबी के दौरान बलगम वाली खांसी, सांस की दिक्कत, भूख न लगना या कम लगना, वजन कम होना, हल्का बुखार, कभी-कभी रात में पसीना आना और कई बार बलगम में खून आने के लक्षण सामने आ सकते हैं। वहीं एक्सट्रा पल्मोनरी टीबी के दौरान किसी विशेष अंग में दर्द या सूजन, हल्का बुखार, रात में पसीना आना, भूख न लगना जैसे लक्षण सामने आते हैं।
टीबी का कारण
इम्यून सिस्टम कमजोर होना, धूम्रपान, अल्कोहल का अत्यधिक सेवन, संक्रमित रोगी के संपर्क में आने और साफ-सफाई का खयाल न रखने की वजह से ये रोग हो सकता है। इसके अलावा डायबिटीज के मरीजों, गर्भवती महिलाओं और एचआईवी के मरीजों को इम्यूनिटी कमजोर होने की वजह से एक्सट्रा पल्मोनरी टीबी का रिस्क ज्यादा होता है।
कैसे करें बचाव
1. दो हफ्तों से अधिक समय तक खांसी रहती है तो इसके बारे में डॉक्टर को बताएं और बलगम की जांच करवाएं।
2. खानपान का विशेष खयाल रखें ताकि आपका इम्यून सिस्टम मजबूत रहे।
3. संक्रमित रोगी से उचित दूरी बनाकर रखें। उसकी चीजों को भी न छुएं। रोगी से मिलते समय नाक मुंह को ढककर रखें और मिलने के बाद अपने हाथों को अच्छी तरह साबुन से धोएं।
यह भी पढ़े: आरटीओ में प्रशासन के छापे से मची भगदड़, मंडलायुक्त को देख भाग खड़े हुए दलाल
ये है इलाज
रोग की पुष्टि होने के बाद इलाज के लिए विशेषज्ञ छह से नौ महीने का कोर्स चलाकर इसका इलाज करते हैं। गंभीर स्थिति में 18 से 24 महीने भी लग सकते हैं। इस दौरान दवा की एक भी खुराक को छोड़ा नहीं जाता। इसलिए इलाज के दौरान विशेषज्ञ के निर्देशों का पालन जरूर करें। इसके अलावा अन्य लोगों को संक्रमित होने से बचाने के लिए उनसे उचित दूरी बनाकर रखें। सार्वजनिक स्थानों पर न थूकें और किसी से बात करते समय नाक और मुंह पर कपड़ा जरूर रखें।
Sarkari Manthan Hindi News Portal & Magazine