उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ स्कूली शिक्षा व्यवस्था को लेकर बड़े_बड़े दावे करते नहीं थकते। सीएम योगी का कहना है कि स्कूली शिक्षा पहले की सरकारों के कार्यकाल की तुलना में कई गुना बेहतर स्थिति में हैं लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है। खास बात यह है कि योगी के बेसिक शिक्षा मंत्री ने ही विधानसभा में इसकी पोल खोलकर रख दी। एक सवाल के जवाब में शिक्षा मंत्री ने कहा कि 6119 बालिका विद्यालयों में शौचालय जैसी बेसिक सुविधाएं भी नहीं हैं। दरअसल, विधानसभा के एक सदस्य ने बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह से लिखित में जवाब मांगा था कि मंत्री जी यह बताने की कृपा करेंगे कि प्रदेश के परिषदीय वद्यालयों में छात्राओं के लिए पंचायतों द्वारा निर्मित शौचालय अपूर्ण अथवा क्रियाशील नहीं हैं? क्या उक्त शौचालयों को सरकार क्रियाशील कराएगी। यदि हां, तो कब तक, यदि नहीं तो क्यों?
बेसिक शिक्षा विभाग राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार संदीप सिंह ने सवाल के जवाब में कहा कि साल 2020-2021 के मुताबिक 6119 विद्यालयों में बालिका शौचालय अक्रियाशील हैं। इनमें पंचायतों द्वारा निर्मित शौचालय भी सम्मिलित हैं। आपरेशन विद्यालय कायाकलप के अन्तर्गत प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित समस्त परिषदीय विद्यालयों में क्रियाशीलता, उच्चीकरण और विस्तारीकरण किए जाने के संबंध में पंचायती राज विभाग को दिनांक 24 मार्च 2022 को जरूरी आदेश जारी किए गए हैं। जल्द ही इन विद्यालयों में शौचालयों की सुविधा बहाल हो जाएंगी।
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महिला शिक्षकों ने की योगी सरकार से पीरियड लीव की मांग
दूसरी तरफ एक सूचना तो यह भी है कि यूपी के प्राइमरी स्कूलों में अभी बालिकाओं और महिला शिक्षकों के लिए शौचालय न होने की वजह से उप्र महिला शिक्षक संघ ने हर महीने में विशेष दिनों के लिए तीन दिन की ‘पीरियड लीव’ की मांग की है। ये बात जुलाई 2021 की है। महिला शिक्षक अनिवार्य पीरियड लीव की मांग को लेकर मंत्रियों से मिल भी चुकी हैं। इस बात को लेकर यूपी के 75 जिलों में से 50 जिलों में महिला शिक्षकों के संगठन ने अधिकारियों और मंत्रियों को अपना ज्ञापन सौंपा है।