बाहुबली मुख्तार अंसारी का जानी दुश्मन डॉन बृजेश सिंह 14 साल तक कैद में रहने के बाद जमानत पर जेल से बाहर आ गया है. डॉन बृजेश सिंह की जेल की रिहाई के बाद से माफिया मुख्तार अंसारी बेचैन हो गया है. जब से बृजेश सिंह जेल से छूटा है, तब से ही बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी की चिंता बढ़ गई है. सूत्रों की मानें तो जेल में बंद मुख्तार अंसारी न तो सही से सो पा रहा है और न ही सही से खा पा रहा है. उसे खबर हो गई है कि डॉन बृजेश सिंह बाहर आ गया है.
जेल के सूत्रों ने बताया कि ब्रजेश सिंह की जेल से रिहाई के बाद से माफिया मुख्तार अंसारी सकते में आ गया है. मुख्तार अंसारी जेल की तन्हा बैरक में रात भर नहीं सो पाया है. इतना ही नहीं, मुख्तार अंसारी सही से खाना भी नहीं खा पा रहा है. बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार बाहुबली मुख्तार अंसारी पर हुए जानलेवा हमले व हत्या के षड्यंत्र के आरोपी माफिया बृजेश सिंह उर्फ अरूण कुमार सिंह की जमानत मंजूर कर ली और गुरुवार को डॉन बृजेश सिंह रिहा हो गया.
बृजेश सिंह पिछले 14 साल से जेल में बंद था. बृजेश सिंह पर अपने साथियों के साथ मिलकर पूर्वांचल के माफिया मुख्तार अंसारी के काफिले पर जानलेवा हमला करने का आरोप है. 15 जुलाई 2001 मुख्तार अंसारी के काफिले पर गोलीबारी हुई थी और इस हमले में मुख्तार के गनर की मौत हो गई थी और कई अन्य लोग घायल हो गए थे. डॉन बृजेश सिंह व अन्य लोगों के खिलाफ गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में जानलेवा हमला व हत्या सहित आईपीसी की कई धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया था. इस मामल में हाईकोर्ट में जस्टिस अरविंद कुमार मिश्र की सिंगल बेंच ने डॉन बृजेश सिंह को जमानत दी.
कोर्ट में क्या दलील दी गई
हाईकोर्ट में जमानत के समर्थन में याची की ओर से कहा गया कि वह इस मामले में 2009 से जेल में बंद है. इससे पहले उसकी पहली जमानत अर्जी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी. साथ ही कोर्ट ने विचारण न्यायाधीश को निर्देश दिया था कि मुकदमे के विचारण में एक वर्ष के अंदर सभी गवाहों की गवाही पूरी कर ली जाए और ट्रायल भी पूरा किया जाए. लेकिन अवधि बीतने के बाद भी सिर्फ एक ही गवाह का बयान दर्ज कराया जा सका है.
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बृजेश सिंह और मुख्तार अंसारी की दुश्मनी कैसे हुई
कहा जाता है कि पहले बृजेश और मुख्तार अंसारी की दोस्ती हुआ करती थी, मगर दोनों के बीच रिश्ते तल्ख तब हुए जब साल 1991 में वाराणसी के पिंडरा से विधायक अजय राय के भाई अवधेश की मौत की खबर सुनकर बृजेश सिंह का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. अवधेश की हत्या में मुख्तार अंसारी और उसके गैंग का नाम सामने आया और यह बात बृजेश सिंह को खल गई. मुख्तार अंसारी ने 1996 में पहली बार विधानसभा सदस्य बनने के बाद से बृजेश सिंह की जरायम की सत्ता को चुनौती देने लगा. इसके बृजेश सिंह और मुख्तार अंसारी की अदावत बढ़ गई. 1996 में मुख्तार अंसारी पहली बार विधायक बना और उसका रुतबा बढ़ गया. गाजीपुर में 15 जुलाई 2001 को मोहम्मदाबाद थानाक्षेत्र के उसर चट्टी इलाके में तत्कालीन मऊ से विधायक मुख्तार अंसारी के काफिले पर बृजेश सिंह और त्रिभुवन सिंह ने मिलकर जानलेवा हमला किया था. दिन में दोपहर 12:30 बजे हुए इस हमले में मुख्तार अंसारी के गनर समेत तीन लोगों की मौत हुई थी.