मौत के सैलाब में तैर रही धन-उगाही की कश्ती, ठगी के दलदल में डूब रहे लोग

देशभर में जहां एक तरफ कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है तो वहीं दूसरी तरफ साइबर अपराधी एक बार फिर इसका लाभ उठाने लगे हैं। मरीजों के परिजन ऑक्सीजन और दवा के लिए इधर उधर भटक रहे हैं। ऐसे में जालसाज अपने मोबाइल नंबर को वायरल कर उनके साथ ठगी को अंजाम दे रहे हैं। महज दो सप्ताह में ऐसी 30 से ज्यादा वारदातों की शिकायत दिल्ली पुलिस को मिली है। इसे लेकर दिल्ली पुलिस द्वारा काम किया जा रहा है। वहीं लोगों से भी पुलिस ने सावधान रहने की अपील की है।

व्हाट्सएप ग्रुप एवं सोशल मीडिया के द्वारा ठगी

जानकारी के अनुसार, ऑक्सीजन और दवा की किल्लत को लेकर तमाम व्हाट्सएप ग्रुप और सोशल मीडिया पर अनेक मोबाइल नंबर वायरल हो रहे हैं। इनमें कई वेरीफाइड नंबर भी बताए जा रहे हैं। ऐसे नंबरों पर जब लोग कॉल करते हैं तो उनमें से कई नंबर जालसाज के निकल रहे हैं। वह लोगों को ऑक्सीजन और दवा की होम डिलीवरी करने के नाम पर उनसे ऑनलाइन रुपये ले रहे हैं, लेकिन रुपये मिलने  के बाद वह आर्डर देने वाले का मोबाइल नंबर ब्लॉक कर देते हैं। ऐसे में पीड़ित को न तो ऑक्सीजन-दवा मिलती है और ना ही रुपये वापस। इसके बाद उन्हें ठगी का अहसास होता है।

कई लोग बीते दिनों बन गए शिकार

दक्षिण जिला निवासी नीरज को अपनी मां के लिए कोविड में इस्तेमाल होने वाली रेमिडिसिवर दवा की जरुरत थी। ऐसे ही वायरल नंबर पर कॉल कर उन्होंने दवा के बारे में पूछा तो उन्हें दवा देने का आश्वासन मिला। इसके लिए उनसे 40 प्रतिशत रकम एडवांस मांगी गई और बकाया राशि डिलीवरी वाले को देने के लिए कहा गया। नीरज ने यह रकम उन्हें भेज दी जिसके बाद से वह नंबर स्विच ऑफ हो गया। उसने दक्षिण जिला पुलिस को इस बारे में शिकायत दी है। बीते रविवार को बबीता नामक महिला को अपनी मां के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर की आवश्यकता थी। उन्होंने भी ऐसे ही वायरल नंबर पर सम्पर्क किया। उनसे 5500 रुपये ऑनलाइन मांगे गए। यह रकम ट्रांसफर करने के बाद उनके घर सिलेंडर नहीं पहुंचा। तब उन्हें ठगी का पता चला।

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साइबर एक्सपर्ट की माने तो इस आपदा के समय में साइबर अपराध लगातार बढ़ रहे हैं। लोगों को ऑक्सिजन और दवा की सख्त आवश्यकता है जिसका यह जालसाज फायदा उठा रहे हैं। मरीज के परिजनों को मदद चाहिए और वह ऐसे नंबर पर भरोसा कर ऑनलाइन पेमेंट कर देते हैं। वह इस बात पर ध्यान ही नहीं देते कि यह नंबर किसी फ्रॉड का हो सकता है। एक्सपर्ट ने बताया कि एक मई से युवाओं को लगने वाली वैक्सीन को लेकर भी ठग सक्रिय हो चुके हैं और इसका पंजीकरण कराने के नाम पर भी जल्द ठगी के मामले सामने आने लगेंगे।

ऐसे बच सकते है ठगी से

किसी भी वायरल नंबर पर भरोसा न करें, ऐसे वायरल नंबर को बिना सत्यापन के दूसरों को फॉरवर्ड न करें, कॉल करने पर अगर कोई आपको दवा या ऑक्सिजन देने की बात कहता है तो उसे डिलीवरी पर ही रुपये दें, वायरल नंबर पर बातचीत के बाद उसे ऑनलाइन रुपये ट्रांसफर न करें, बातचीत में अगर आपको शक हो तो तुरंत इसकी जानकारी पुलिस को दें, वैक्सीन के पंजीकरण करवाने के लिए कोई कॉल करे तो समझ जाएं वह ठग है, वैक्सीन के लिए सरकार की तरफ से नहीं बल्कि अपनी तरफ से पंजीकरण करवाया जा रहा है, इस बात का ध्यान रखें।