मोदी कैबिनेट के विस्तार से ठीक पहले केंद्रीय मंत्रियों के इस्तीफे आने शुरु हो गए हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन, केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार समेत केंद्र सरकार के दस मंत्रियों ने अब तक अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। चर्चा है कि निशंक ने जहां स्वास्थ्य कारणों से अपना इस्तीफा प्रधानमंत्री को भेजा है, वहीं कोरोना महामारी के दौरान स्वास्थ्य व्यवस्था, ऑक्सीजन की कमी और अन्य कारणों से केंद्र की हुई किरकिरी की कीमत डॉ हर्षवर्धन को चुकानी पड़ी है।
कैबिनेट से बाहर किये गए ये दिग्गज
निशंक और डॉ हर्षवर्धन के साथ ही श्रम मंत्री संतोष गंगवार, देबोश्री चौधरी, संजय धोत्रे, बाबुल सुप्रियो, राव साहेब दानवे पाटिल, सदानंद गौड़ा, रतनलाल कटारिया और प्रताप सारंगी ने मंत्रीपद से इस्तीफा दे दिया है।
निशंक हाल ही में कोरोना संक्रमण से उबरने के कुछ दिन बाद से बीमार चल रहे थे। उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर उन्हें तकरीबन 15 दिन तक आईसीयू में भी रहना पड़ा था। स्वास्थ्य कारणों के चलते उनके इस्तीफे की बात कही जा रही है। हालांकि, चर्चा यह भी है कि भाजपा नेतृत्व उन्हें वापस उत्तराखंड की राजनीति में भेजने पर विचार कर रहा है। उत्तराखंड में अगले वर्ष की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं।
वहीं, कोरोना महामारी के दौरान देश के कई हिस्सों में ऑक्सीजन की आपूर्ति, रेमेडिसीवर दवा की किल्लत, अस्पतालों में आक्सीजन की व्यवस्था वाले बिस्तरों की कमी के कारण केंद्र की खासी फजीहत हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसके लिए केंद्र को फटकार लगाई थी। ऐसे में हर्षवर्धन पर गाज गिरनी ही थी। यही कारण है कि कैबिनेट विस्तार के बहाने डॉ हर्षवर्धन को बाहर जाना पड़ा। उधर, पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के दौरान अपनी सीट न बचा पाने और मंत्रालय में बेहतर परिणाम न दे पाने के कारण बाबूल सुप्रीयो को बाहर का रास्ता देखना पड़ा है।
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वहीं, पश्चिम बंगाल से केंद्रीय कैबिनेट में जगह पाने वाली देवश्री चौधरी को भी पद से हाथ धोना पड़ा है। इसके साथ ही अपने-अपने मंत्रालय में अपेक्षित परिणाम न आने के कारण कई मंत्रियों को पद से इस्तीफा देना पड़ा।