कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों द्वारा किये जा रहे आन्दोलन का आज 10वीं दिन है, इस दौरान किसानों और केंद्र की सत्तारूढ़ मोदी सरकार के बीच चार बार बैठक भी हो चुकी है, लेकिन अभी तक इसका कोई हल नहीं निकल सका है। इसी क्रम में शनिवार को किसानों और सरकार के बीच पांचवे दौर की बैठक होनी है। दिल्ली के विज्ञान भवन में होने वाली इस बैठक से पहले मोदी सरकार ने अपनी रणनीति बनानी भी शुरू कर दी है। उधर आंदोलित किसानों ने भी मोदी सरकार को अल्टीमेटम दे दिया है।
रणनीति बनाने में जुटी मोदी सरकार
दरअसल, बैठक से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई के एक उच्चस्तरीय बैठक हुई। पीएम आवास में हुई इस बैठक में पीएम मोदी के अलावा केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह, कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और केन्द्रीय मंत्री पियूष गोयल मौजूद रहे। करीब दो घंटे तक चली इस बैठक में इस बैठक में कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलित किसानों के मुद्दे पर अहम चर्चा की गई।
इस बैठक से पहले नरेन्द्र सिंह तोमर ने बताया कि नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि शनिवार को किसानों के साथ दोपहर 2 बजे मीटिंग तय है। मुझे उम्मीद है कि किसान सकारात्मक विचार करेंगे और विरोध प्रदर्शन खत्म करेंगे।
उधर, किसानों ने भी सरकार को अल्टीमेटम दे दिया है। किसान महापंचायत के नेता रामपाल जाट ने कहा कि सरकार को तीन काले कानूनों को वापस लेने की घोषणा करनी चाहिए और उसे लिखित में देना होगा कि एमएसपी जारी रहेगी। अगर आज की वार्ता से कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकलता है, तो राजस्थान के किसान एनएच-8 के साथ दिल्ली की ओर मार्च करेंगे और जंतर मंतर पर डेरा डालेंगे।
आपको बता दें कि बीते दिन भी किसानों ने मोदी सरकार को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर जल्द कृषि कानूनों के तीनों प्रावधानों को रद्द नहीं किया गया तो किसानों का आन्दोलन विकराल रूप ले लेगा। इसके साथ उन्होंने 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है।
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पिछले 10 दिनों से किसान दिल्ली के बॉर्डर पर डंटे हुए हैं और अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर ठोस भरोसा चाहते हैं। केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की बात तो नहीं मान रही है लेकिन किसानों की कुछ ऐसी मांग हैं जिनपर वह राजी होती दिखाई दे रही है।