कोरोना काल में लोगो के जीवन पर काफी प्रभाव पड़ा है। कोरोना ने बहुतों के जीवन में बहुत से बदलाव ला दिए है। इसी क्रम में भारतीय एथलेटिक्स स्टार दुती चंद (Dutee Chand) पर भी कोरोना वायरस का काफी प्रभाव पड़ा है।दुती चंद (Dutee Chand) ने 2018 में हुए एशियन गेम्स (Asian Games) में दो सिल्वर मेडल हासिल किए थे। पिछले एक साल से ओलिंपिक की तैयारियों पर उन्होंने काफी पैसा खर्च किया था।
ओलिंपिक के स्थगित हो जाने के कारण उनकी तैयारी और पैसा सब बर्बाद हो गया है। दुती अब तक ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई नहीं कर पाई हैं और फिलहाल भुवनेश्वर में तैयारियों में जुटी हुई हैं। हालांकि तैयारियों के लिए उन्हें पैसों की जरूरत है जिसके कारण उन्हें अपनी बीएमडब्ल्यू कार बेचनी पड़ रही है। दुती चंद ने सोशल मीडिया पर कार बेचने के लिए तस्वीरें डाली थीं लेकिन बाद में पोस्ट को हटा दिया।
ट्रेनिंग के लिए बेच रही हैं गाड़ी
दुती ने साल 2015 में बीएमडब्ल्यू-3 सीरीज मॉडल कार 30 लाख रुपए में खरीदी थी। हालांकि कोरोना वायरस के बिगड़े हालात के बीच उन्होंने अपनी ट्रेनिंग के लिए इससे बेचने का फैसला किया है। दुती ने इस बारे में एक न्यूज़ चैनल से कहा, ‘कोविड-19 महामारी के कारण कोई भी स्पॉन्सर मुझ पर खर्च करने के लिए तैयार नहीं है। यहां तक की सरकार के लोग भी कह रहे हैं कि उनके पास मेरी मदद के लिए पैसे नहीं है। अगले साल होने वाले ओलिंपिक खेलों की अपनी ट्रेनिंग और डाइट के लिए मुझे पैसों की जरूरत है। इसी कारण मैंने अपनी बीएमडब्ल्यू कार बेचने का फैसला किया है।’
गाड़ी बेचने के लिए फेसबुक पर डाली थी पोस्ट
दुती को एशियन खेलों में उपलब्धी के लिए ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने तीन करोड़ रुपए इनाम के तौर पर दिए थे। दुती ने इसी पैसे से अपना घर बनाया और गाड़ी खरीदी थी। दुती ने फेसबुक पर गाड़ी की तस्वीरें पोस्ट करके लिखा था कि जो भी उनकी बीएमडब्ल्यू खरीदना चाहता है वह उन्हें मैसेज करे। हालांकि बाद में उन्होंने इस पोस्ट को डिलीट कर दिया था।
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टॉप्स का हिस्सा नहीं है दुती चंद
दुती के मुताबिक उनके पास दो गाड़ियां और हैं ऐसे में उन्होंने लग्जरी गाड़ी को बेचने के बारे में सोचा। वह जर्मनी जाकर ट्रेनिंग करना चाहती हैं जिसके टिकट भी हो चुके हैं लेकिन सभी स्पॉन्सर पीछे हट चुके हैं। जकार्ता एशियाई खेल 2018 में 100 मीटर की रजत पदक विजेता दुती (Dutee Chand) खेल मंत्रालय की टारगेट ओलिंपिक पोडियम योजना (टॉप्स) का हिस्सा नहीं है। उनका प्रायोजन ओडिशा (Odisha) सरकार और केआईआईटी कर रहे थे लेकिन वह टोक्यो ओलिंपिक 2020 तक ही था। अब वह खुद अपनी जिम्मेदारी उठाने का फैसला कर चुकी हैं।