सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगा मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी समेत 64 लोगों को विशेष जांच दल (एसआईटी) की ओर से दिए गए क्लीन चिट को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है। कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने यह भी समझाया कि प्रशासन की किसी खामी या सही समय पर उचित कार्रवाई नहीं कर पाने को साजिश से नहीं जोड़ा जा सकता है। कोर्ट ने अपनी बात समझाने के लिए कोरोना महामारी का भी उदाहरण दिया।
जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल की दलीलों को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि राज्य प्रशासन की असफलता या निष्क्रियता के आधार पर साजिश की बात नहीं कही जा सकती है। कोर्ट ने आगे कहा, ”राज्य प्रशासन के कुछ अधिकारियों की असफलता या निष्क्रियता आपराधिक साजिश का आधार नहीं हो सकता है या यह नहीं कहा जा सकता है कि यह अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ राज्य प्रयोजित अपराध (हिंसा) है।”
कोरोना का उदाहरण दे समझाई बात
कोर्ट ने अपनी बात समझाते हुए कहा कि आपातकालीन समय में राज्य प्रशासन का विफल हो जाना कोई अनोखी चीज नहीं है। कोर्ट ने कोरोना महामारी का उदाहरण दिया कि सबसे अच्छी सुविधाओं से लैस सरकारें विफल होती दिखीं। कोर्ट ने पूछा, ”क्या इसे आपराधिक साजिश कहा जा सकता है?”
मजिस्ट्रेट के आदेश को रखा बरकरार
बेंच ने मामले को बंद करने संबंधी 2012 में सौंपी गई एसआईटी की रिपोर्ट के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करने के विशेष मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश को बरकरार रखा। शीर्ष अदालत ने गुजरात हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा और कहा कि जाफरी की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। जकिया ने 2002 के गुजरात दंगों में एक बड़ी साजिश का आरोप लगाया था।
गुलबर्ग सोसायटी में मारे गए थे एहसान जाफरी समेत 68 लोग
कांग्रेस नेता और सांसद एहसान जाफरी 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी में मारे गए 68 लोगों में शामिल थे। इससे एक दिन पहले गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आग लगा दी गई थी, जिसमें 59 लोग मारे गए थे। इन घटनाओं के बाद ही गुजरात में दंगे भड़क गए थे। जकिया जाफरी ने एसआईटी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित 64 लोगों को मामले में दी गई क्लीन चिट को चुनौती दी थी। जकिया ने हाई कोर्ट के 5 अक्टूबर, 2017 के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें अदालत ने एसआईटी की रिपोर्ट के खिलाफ उनकी याचिका को खारिज कर दिया था। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 9 दिसंबर को याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था।