दुनिया भर में कोहराम मचा चुकी महामारी कोरोना को हराने के लिए ब्रिटेन और अमेरिका में जहां बड़े स्तर पर कोरोना वैक्सीन के टीकाकरण का काम चल रहा है, तो वहीं कई अन्य देश भी हैं जो टीकाकरण अभियान शुरू कर चुके हैं। भारत में भी माना जा रहा है कि अगले साल की शुरुआत में ही लोगों को वैक्सीन मिलनी शुरू हो जाएगी। सरकार ने इसके लिए दिशानिर्देश भी जारी कर दिए हैं। हालांकि उससे पहले सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या लोग वैक्सीन लगवाना चाहेंगे? इसको लेकर कई देशों में सर्वे (सर्वेक्षण) हो रहे हैं। भारत में भी ऐसा ही एक सर्वे किया गया है, जिसमें यह पाया गया है कि भारतीय कोरोना की वैक्सीन लगवाने से कतरा रहे हैं।
एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली स्थित लोकल सर्किल (स्थानीय क्षेत्रों) के एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि लोग वैक्सीन लगवाने से क्यों कतरा रहे हैं। इसके पीछे दो कारण बताए जाते हैं। पहला ये कि सितंबर के बाद से संक्रमण के मामलों में काफी कमी आई है और दूसरा ये कि लोग वैक्सीन के दुष्प्रभावों को लेकर चिंता में हैं।
इस सर्वे में 18 हजार लोगों को शामिल किया गया था। इसके मुताबिक, करीब 69 फीसदी लोगों ने बताया कि फिलहाल टीकाकरण करने की कोई खास जरूरत नहीं है। अमेरिका में भी ऐसा ही एक सर्वे हुआ है, जिसमें लोगों से पूछा गया कि क्या वो टीका लगवाएंगे, तो इसके जवाब में करीब 50 फीसदी लोगों ने ना में जवाब दिया। यह सर्वे अमेरिका की वर्जिनिया कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी द्वारा वहां के युवाओं पर किया गया था।
चूंकि अमेरिका में हाल ही में टीकाकरण अभियान शुरू हुआ है, जिसके तहत वहां अलग-अलग कई जगहों पर लोगों को फाइजर की वैक्सीन दी जा रही है, लेकिन इसके साइड-इफेक्ट भी देखने को मिल रहे हैं। हाल ही में वहां दो लोगों ने वैक्सीन लगवाई थी, लेकिन उसके कुछ ही देर बार उनकी तबीयत खराब हो गई। ब्रिटेन में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला था।
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अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन का कहना है कि जिन लोगों को एलर्जी की समस्या है, उन्हें इस वैक्सीन को लेने से बचने की जरूरत है। ब्रिटेन के चिकित्सा नियामक का भी यही कहना है कि जिन लोगों को किसी दवा या खाने की कुछ चीजों से एलर्जी हो जाती है, उन्हें फाइजर-बायोएनटेक की कोरोना वैक्सीन नहीं लेनी चाहिए।