नई दिल्ली। चीन के दादागीरी के खिलाफ अमेरिका ने अपनी कार्रवाई को और तेज कर दिया है। अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर पर चीन के लगभग सभी महत्वपूर्ण दावों को सिरे से खारिज कर दिया है। अमेरिका ने यह कदम ऐसे समय पर उठाया है, जब दोनों देशों की सेनाएं साउथ चाइना सी में युद्धाभ्यास कर रही हैं और तनाव काफी बढ़ा हुआ है।
उधर अमेरिकी विदेश मंत्रालय के इस बयान के बाद चीन भड़क उठा है। माना जा रहा है कि ट्रंप प्रशासन ने यह फैसला साउथ चाइना सी में पड़ोसी देशों के प्रति चीन की बढ़ती आक्रामकता पर लगाम लगाने और अंतरराष्ट्रीय कानून को मान्यता देने के लिए उठाया है।
अमेरिका के इस बयान के बाद चीन भड़क उठा है। चीन के अमेरिका में स्थित दूतावास ने एक बयान जारी करके कहा है कि अमेरिकी जानबूझकर तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश कर रहा है। साथ ही दक्षिण चीन सागर में ताजा स्थिति को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहा है। अमेरिका का यह बयान पूरी तरह से न्यायोचित नहीं है। चीन इसका कड़ा विरोध करता है।
अमेरिकी प्रशासन के इस कदम के बाद दोनों देशों के बीच पहले से तनावपूर्ण चल रहे संबंधों के और ज्यादा खराब होने की आशंका बढ़ गई है। चीन अमेरिकी प्रतिबंधों का विभिन्न तरीकों से पलटवार करने में लगा हुआ है। इससे पहले अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो इस बात पर जोर देता रहे हैं कि चीन और उसके छोटे पड़ोसी देशों के बीच समुद्री विवाद का संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता के जरिए शांति के साथ सुलझाया जाना चाहिए।
हालांकि अमेरिकी विदेश विभाग की ओर से जारी बयान में विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि अमेरिका चीन के अंतरराष्ट्रीय मान्यता वाले समुद्री क्षेत्र के अतिरिक्त अन्य सभी समुद्री दावों को अवैध मानता है। इस अमेरिकी रुख में जमीनी सीमा विवाद शामिल नहीं है।
माइक पोम्पियो ने कहा, ‘दुनिया चीन को साउथ चाइना सी को बीजिंग के समुद्री साम्राज्य के रूप में व्यवहार करने की स्वीकृति नहीं देगी। अमेरिका अपने दक्षिण पूर्व एशियाई सहयोगियों और भागीदारों के साथ तटीय इलाकों में प्राकृतिक संसाधनों के अधिकार की रक्षा के लिए और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत उनके अधिकारों और दायित्वों के साथ खड़ा है।’ माइक पोम्पियो ने कहा कि हम समुद्री स्वतंत्रता और संप्रभुता के सम्मान के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ खड़े हैं।
साथ ही दक्षिण चीन सागर या उसके बाहर ‘शक्ति ही सत्य बनाती है’ को लागू करने के किसी भी दुस्साहस को खारिज करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका आगे भी जमीनी विवादों में निष्पक्ष बना रहेगा।
पोम्पियो के इस ऐलान के बाद अब यह स्पष्ट हो गया कि अमेरिका साउथ चाइना सी में ब्रुनई, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपीन्स और वियतनाम का पक्ष लेगा जो चीन के दादागीरी का विरोध कर रहे हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘इस बात के स्पष्ट उदाहरण हैं कि चीन जिन इलाकों पर अपना दावा कर रहा है, उस पर कोई भी देश कानूनी तरीके से दावा नहीं कर सकता है।’