हाईकोर्ट में उठी राहुल गांधी की नागरिकता रद्द करने की मांग, न्यायाधीश ने बीजेपी नेता को दिया आदेश

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की नागरिकता के मुद्दे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित याचिका की प्रति दाखिल करने के लिए समय दिया। पिछली सुनवाई में, हाईकोर्ट ने कहा था कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी इसी तरह की याचिका लंबित है और दो अदालतें एक ही मामले की एक साथ सुनवाई नहीं कर सकती हैं।

सुब्रमण्यम स्वामी ने बुधवार को हाईकोर्ट को सूचित किया कि उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रहे मामले की याचिका की प्रति प्राप्त कर ली है और यह मामला उनकी दलीलों से अलग है।

मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने इसके बाद स्वामी को पिछले आदेश के अनुपालन में दस्तावेज इलेक्ट्रॉनिक रूप में दाखिल करने का निर्देश दिया और उनकी याचिका पर अगली सुनवाई की तारीख 6 नवंबर तय की।

स्वामी ने एक याचिका दायर कर हाईकोर्ट से गृह मंत्रालय (एमएचए) को निर्देश देने की मांग की है कि वह राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने की मांग करने वाले उनके अभ्यावेदन पर निर्णय ले। उन्होंने गृह मंत्रालय से गांधी के खिलाफ उनके द्वारा दायर अभ्यावेदन पर स्थिति रिपोर्ट मांगी है।

स्वामी की याचिका में कहा गया है कि 6 अगस्त 2019 को उन्होंने गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि राहुल गांधी ने स्वेच्छा से ब्रिटिश सरकार के सामने खुलासा किया था कि वह ब्रिटिश नागरिक हैं, जो ब्रिटिश पासपोर्ट रखने के बराबर है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 25 सितंबर को कर्नाटक के एक भाजपा सदस्य द्वारा दायर जनहित याचिका पर केंद्र से रुख पूछा, जिसमें कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की कथित ब्रिटिश नागरिकता की सीबीआई जांच की मांग की गई है। याचिकाकर्ता ने राहुल गांधी की नागरिकता रद्द करने की मांग की है।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने सरकार की ओर से पेश एएसजी सूर्यभान पांडे को निर्देश दिया कि वे इस मामले में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उन्होंने मंत्रालय के विदेशी प्रभाग के समक्ष विस्तृत प्रतिवेदन दिया है।

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रिपोर्ट में कहा गया है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र से नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 9(2) के तहत याचिकाकर्ता द्वारा दायर अभ्यावेदन पर प्रस्तावित निर्णय के बारे में पूछा।