पुण्यतिथि विशेष (13 अक्टूबर) : सुरों के सम्राट किशोर कुमार की आवाज का जादू आज भी कायम

सुरों के सम्राट किशोर कुमार की लोकप्रियता आज भी बरकरार हैै। हिन्दी सिनेमा जगत में ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है जो सदाबहार गायक किशोर कुमार से प्रभावित ना हो। यदि आप हिंदी गानों के शौकीन हैं और आपकी पसंदीदा लिस्ट में किशोर दा के गाने ना हों यह मुमकिन ही नहीं। चाहे आज की युवा पीढ़ी हो या अधेड़ उम्र के लोग सभी को किशोर दा बहुत पसंद हैं। अपनी गायिकी से किशोर दा ने ऐसा असर छोड़ा है कि उनकी आवाज अभी भी लोगों के दिलों पर राज करती है। 13 अक्टूबर को किशोर कुमार की पुण्यतिथि है।

किशोर दा का जीवन
किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त 1929 को मध्य प्रदेश के खंडवा शहर में एक बंगाली परिवार और वहां के जाने माने वकील कुंजीलाल गांगुली के यहां हुआ था। किशोर कुमार का असली नाम आभास कुमार गांगुली था। किशोर चार भाई बहनों में सबसे छोटे थे। बड़े भाई अशोक कुमार, बहन सती देवी, भाई अनूप कुमार। उनके सबसे बड़े भाई अशोक कुमार मुम्बई में एक अभिनेता के रूप में स्थापित हो चुके थे और उनके एक और भाई अनूप कुमार भी फ़िल्मों में काम कर रहे थे।

किशोर कुमार एक ऐसी शख्सियत थे, जिसमें बहुमुखी प्रतिभा होने के साथ वह सब था जिसकी वजह से लोग उन्हें महान मानते थे। एक गायक और अभिनेता होने के साथ किशोर कुमार ने लेखक, निर्देशक, निर्माता और संवाद लेखक तक की भूमिका निभाई। सिर्फ हिन्दी ही नहीं बंगाली, मराठी, गुजराती, कन्नड़ जैसी कई फिल्मों में भी उन्होंने अपनी आवाज का जादू बिखेरा। एक बेहतरीन गायक होने के साथ किशोर कुमार को उनकी कॉमेडियन अदाकारी के लिए आज भी याद किया जाता है।

अभिनेता के रूप में करियर की शुरुआत

किशोर कुकार के गाये गाने आज भी बहुत पसंद किये जाते हैं। किशोर कुमार ने अपने करियर की शुरुआत अभिनेता के रूप में फिल्म शिकारी (1946) से की। इसके बाद 1948 में आई फिल्म ‘जिद्दी’ में संगीतकार खेमचंद प्रकाश ने उन्हें पहली बार ‘मरने की दुआएं क्यों मांगू’ गाने का मौका दिया। यह फिल्म हिट साबित हुई, लेकिन किशोर को कोई पहचान नहीं मिली। वह अपनी पहचान बनाने के लिए लगातार संघर्षरत रहे।
परिणामस्वरूप उन्हें बिमल रॉय की फिल्म ‘नौकरी’ में अभिनय करने का मौका मिला। इस फिल्म में किशोर कुमार ने अपने जबरदस्त अभिनय का लोहा मनवाया। किशोर कुमार रातों-रात स्टार बन गए। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। इसके बाद इस दी बर्मन ने उन्हें फिल्म ‘बहार’ में ‘कुसूर आपका’ गाना गाने का मौका दिया और यह गाना बहुत बड़ा हिट रहा।

80 फिल्मों में अभिनय, आवाज के जादूगर

किशोर कुमार ने लगभग 80 फिल्मों में अभिनय किया। जिनमें चलती का नाम गाड़ी, मिस मैरी, बाप रे बाप, दूर गगन की छांव में आदि शामिल हैं। किशोर कुमार ने जहां अभिनय में अपनी उत्कृष छाप छोड़ी वहीं उन्होंने गायकी में अपनी आवाज का जादू चला के हर किसी को अपना दीवाना बना लिया।

किशोर कुमार के अमर गीतों में ‘इक लड़की भीगी भागी – सी’, ‘कोई हमदम न रहा’, ‘कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन’, ‘जिंदगी का सफर’, ‘ओ मेरे दिल के चैन’, ‘में शायर बदनाम’, ‘तुम आ गये हो’, आदि आज भी काफी मशहूर है। बतौर निर्देशक किशोर कुमार ने दूर गगन की छांव में,दूर का राही, बढ़ती का नाम दाढ़ी, चलती का नाम गाड़ी शामिल है।

किशोर दा ने चार शादियां की

किशोर कुमार ने चार शादियां की थी। उन्होंने पहली शादी 1951 में रोमा घोष से शादी की थी,जिससे 1958 में उनका तलाक हो गया था। इसके बाद उन्होंने 1960 में अभिनेत्री मधुबाला से शादी की थी, लेकिन 1969 में उनका निधन हो गया। उन्होंने तीसरी शादी अभिनेत्री योगिता बाली से की, लेकिन यह सम्बद्ध भी दो साल बाद टूट गया। इसके बाद किशोर कुमार ने लीना चंदवरकर से शादी की जो उनके अंत समय तक साथ रहीं। किशोर कुमार को आठ बार ‘फिल्म फेयर अवार्ड’ से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें कई और पुरस्कार मिले। 13 अक्टूबर 1987 को दिल का दौरा पड़ने से किशोर कुमार का निधन हो गया। किशोर कुमार बॉलीवुड का वह स्वर्णिम अध्याय है, जो हमेशा अमर रहेगा।

एक हादसे से पैदा हुई किशोर कुमार की ‘जादुई आवाज’

अपनी जादुई आवाज से कई पीढ़ियों की रूह को छूने वाले किशोर कुमार के गले से बचपन में सही ढंग से आवाज नहीं निकलती थी, जिसे लेकर उनके माता-पिता परेशान रहते थे। उसी दौरान एक हादसे ने उनके भीतर एक ऐसी सुरीली आवाज पैदा कर दी जो आगे चलकर लोगों के जेहन में हमेशा के लिए घर कर गई।

किशोर कुमार के साथ काम कर चुके और उनके पारिवारिक मित्र रहे अभिनेता रजा मुराद ने यह जानकारी दी। मुराद के मुताबिक ‘किशोर दा ने मुझे एक बार बताया था कि बचपन में उनकी आवाज गले से नहीं निकलती थी। इसको लेकर उनके माता-पिता परेशान रहते थे। किशोर का पैर एक बार हंसिये पर पड़ गया और वह इतना रोए कि उनमें यह ‘जादुई आवाज’ पैदा हो गई। वह अपनी सुरीली आवाज के लिए इसी हादसे को श्रेय देते थे।

तीन नायकों को बनाया महानायक
किशोर कुमार ने हिन्दी सिनेमा के तीन नायकों को महानायक का दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। उनकी आवाज के जादू से देव आनंद सदाबहार हीरो कहलाए। किशोर ने ही राजेश खन्ना को देश का सुपरस्टार बनाया था। अमिताभ बच्चन को महानायक बनाया। देव आनंद और किशोर की मरते दम तक दोस्ती रही।