दिल्ली की एक अदालत ने कुश्ती में भारत के लिए दो ओलंपिक पदक जीत चुके पहलवान सुशील कुमार की अग्रिम जमानत याचिका मंगलवार को खारिज कर दी। सुशील ने मंगलवार को रोहिणी की जिला अदालत में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन दिया था। बीजिंग और लंदन ओलंपिक में क्रमश: रजत और कांस्य पदक जीत चुके सुशील छत्रसाल स्टेडियम में एक पूर्व अंतरराष्ट्रीय पहलवान की हत्या में शामिल होने के आरोपों का सामना कर रहे हैं।
अदालत ने सुशील कुमार की याचिका ठुकराई
अदालत के न्यायाधीश जगदीश कुमार ने सुशील को इस मामले को लेकर राहत देने से मना कर दिया है। सुशील ने अपने वकील कुमार वैभव के जरिए अंतरिम जमानत याचिका में कहा था कि निराधार आरोपों के जरिए आवेदक की छवि को खराब करने की कोशिश की जा रही है।
हालांकि पुलिस का कहना है कि सुशील इस मामले में मुख्य आरोपी हैं जिनकी इस अपराध में अहम भूमिका है। सुशील में अपनी अर्जी में यह दलील दी थी कि पीड़ितों के बयान रिकॉर्ड किए गए हैं जिसके बाद हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने साथ ही यह भी दावा किया था कि उनका कथित रूप से हुई गोलीबारी से कोई लेना-देना नहीं है।
सुशील की तरफ से सीनियर वकील सिद्धार्थ लुथरा ने दलीलें पेश की। सुशील काफी दिनों से फरार है। पहलवान सागर धनखड़ की हत्या में आरोपी बनाए जाने के बाद चार मई से ही उनका कोई अता-पता नहीं है और इसी बारे में फीडबैक और सूचना पाने के लिए दिल्ली पुलिस ने एक लाख रुपये के नकद पुरस्कार की घोषणा की थी। इसी के बाद सुशी ने जमानत की अर्जी दी थी।
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अदालत ने 15 मई को सुशील कुमार के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था। पिछले हफ्ते दिल्ली पुलिस ने कुमार के लिए लुक आउट नोटिस जारी किया था। अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (उत्तर पश्चिम दिल्ली) गुरइकबाल सिंह सिद्धू ने कहा था, “सुशील कुमार के लिए लुकआउट नोटिस जारी किया गया है।” सुशील कुमार, भारतीय रेलवे में कार्यरत हैं और छत्रसाल स्टेडियम में विशेष ड्यूटी पर एक अधिकारी (ओएसडी) के रूप में तैनात हैं, जहां कथित तौर पर आपसी विवाद के बाद धनखड़ को मार दिया गया था।