वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कृषि कानूनों के संसद में पारित होने की प्रक्रिया को लेकर विदेश मंत्रालय के बयान की आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि अगर मंत्रालय इस प्रकार की गलत बयानबाजी करेगा तो उनके कथन पर कौन विश्वास करेगा।
कृषि कानूनों को लेकर विदेश मंत्रालय ने दिया यह बयान
दरअसल, कृषि कानूनों और किसान आंदोलन पर अंतरराष्ट्रीय हस्तियों की टिप्पणियों के बीच बुधवार को विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कहा था कि कुछ निहित स्वार्थी तत्व अपना एजेंडा थोपकर कृषि सुधारों को पटरी से उतारना चाहते हैं। ऐसे मुद्दों पर टिप्पणी से पहले उसके बारे में पूरी तरह समझ लेना जरूरी है।
मंत्रालय ने कृषि कानूनों को लेकर कहा था, “भारत की संसद ने पूरी बहस और चर्चा के बाद कृषि क्षेत्र से संबंधित सुधारवादी कानून पारित किया।” इसी पर कटाक्ष करते हुए चिदंबरम ने कहा है कि यह सच्चाई का एक विकृत रूप है।
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पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा कि राज्यसभा के रिकॉर्ड और वीडियो रिकॉर्डिग से स्पष्ट हो जाएगा कि कानूनों पर कोई चर्चा हुई ही नहीं थी। विपक्ष द्वारा कानून को लेकर चर्चा की मांग पर कुछ सांसदों के माइक्रोफोन बंद कर दिए गए थे। साथ ही मत विभाजन की पूरी प्रक्रिया को ही खारिज कर दिया गया था। ऐसे में यदि विदेश मंत्री या मंत्रालय किसी सत्य को झुठलाता है, जिसके वीडियो साक्ष्य हैं, तो फिर उनकी अन्य बातों पर कौन भरोसा करेगा।