पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में पहली बार मैदान में उतरी आम आदमी पार्टी ने सबसे ज्यादा वार्डों पर जीत हांसिल करके डेढ़ दशक में पहली बार बीजेपी को पछाड़ा है?

खबर है कि 35 वार्डो वाले चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में 14 वार्डों में आम आदमी पार्टी ने, 12 वार्डों में बीजेपी ने, 8 वार्डों में कांग्रेस ने और एक वार्ड में शिरोमणि अकाली दल ने जीत दर्ज की है.
इस चुनाव में बीजेपी को तगड़ा सियासी झटका लगा है, वार्ड नंबर 17 के उम्मीदवार और मौजूदा मेयर रवि के शर्मा को आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार दमनप्रीत सिंह उर्फ बादल ने 828 वोटों से हराया है.
बीजेपी के लिए इन नतीजों में साफ संदेश है कि पीएम नरेंद्र मोदी के गुजरात मॉडल से जनता का भरोसा उठ गया है, तो सीएम अरविंद केजरीवाल के दिल्ली मॉडल पर जनता भरोसा करने लगी है.
कांग्रेस के लिए भी इसमें साफ सियासी संदेश यही है कि बीसवीं सदी के राजनीतिक तौर तरीकों से कांग्रेस बाहर आए, केवल मोदी सरकार का विरोध करने से काम नहीं चलेगा, आप के दिल्ली मॉडल की तरह राजस्थान, छत्तीसगढ़ जैसे किसी कांग्रेसी राज्य में राहुल गांधी को एक मॉडल तैयार करना होगा कि यदि वे 2024 में सत्ता में आते हैं, तो जनता को क्या-क्या सुविधाएं देंगे? प्रशासनिक व्यवस्थाओं में क्या सुधार करेंगे?
यही नहीं, राजस्थान जैसे राज्य में इसे लागू करके भी दिखाना होगा, क्योंकि प्रायोगिक मॉडल के बगैर कागजी घोषणाओं पर जनता भरोसा नहीं करेगी!
यदि कुछ यूनिट पर फ्री बिजली देना चाहते हैं, तो राजस्थान में करके दिखाएं, महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाना चाहते हैं, तो राजस्थान में करके दिखाएं!
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सियासी सयानों का मानना है कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार दिखावे की राजनीति में कमजोर साबित हुई है, यही वजह है कि आज महंगाई भले ही मोदी सरकार के गलत फैसलों के कारण बढ़ी हो, लेकिन पेट्रोल-डीजल के रेट के कारण देशभर में बदनामी राजस्थान की हुई, महंगी बिजली के कारण जनता की नजरों में कांग्रेस पर सवालिया निशान लगा है?
अशोक गहलोत सरकार को जनता को अच्छा लगे ऐसा मॉडल देना होगा, तभी 2018 में राजस्थान में और 2024 में केंद्र में कांग्रेस को कामयाबी मिल पाएगी!
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