मणिपुर में दो समुदाय के बीच चल रही हिंसा को 50 दिनों से अधिक हो गया है। इतने दिनों में भी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। असम राइफल और अन्य सुरक्षा एजेंसियों की तमाम कोशिशों के बावजूद मैतेई-कूकी समुदाय के बीच मामला शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। इसे लेकर सरकार ने बीते दिनों सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। वहीं आपको बता दे, ये बैठक गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में दिल्ली में आज खत्म होगी।

इस बैठक में केंद्र सरकार, सभी दलों के नेताओं के साथ हिंसा और उसकी वजहों के बारे में बातचीत करेंगे। आपको बता दे, केंद्र ने ऐसे मुद्दों पर सरकार का सहयोग करने की भी अपील की है। हालांकि इतने दिनों बाद बैठक को लेकर विपक्ष दल सरकार पर निशाना साध रहा है।
क्यों हुई मणिपुर में हिंसा?
मणिपुर में हिंसा शुरु हुई 3 मई से, जब मैतई समाज और कुकी समुदाय के बीच विवाद हो गया। ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) द्वारा ‘आदिवासी एकता मार्च’ निकाला गया। इसी रैली में आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसा हो गई। शाम तक हालात बद से बद्दतर हो गए और राज्य सरकार ने केंद्र से मदद मांगी। आपको बता दें, रैली मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ निकाली गई थी।
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मैतई समुदाय लंबे समय से एसटी के दर्जे की मांग कर रहे हैं। इसके बाद मणिपुर हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग पर विचार करने को कहा, इसके लिए अदालत ने चार हफ्ते का समय दिया। इसके बाद नागा और कुकी समाज भड़क गए।
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