डेंगू मच्छर

सावधान: घर में मौजूद एक मच्छर भी हो सकता है जानलेवा

हर साल डेंगू लाखों लोगों को अपना निशाना बनाता है,  डेंगू मच्छरों से होने वाली बीमारी है ,कई लोग इस बुखार से लड़ते-लड़ते दम तोड़ देते हैं। इसलिए ज़रूरी है कि हम इस जानलेवा बीमारी के बारे में जागरूक बनें ताकि खुद को और अपने परिवार को डेंगू से सुरक्षित रख सकें। लेकिन कई बार अधूरी जानकारी के कारण हम बीमारी से जुड़े कुछ मिथक सच मान लेते है।

लोग इसे गरीबों, झुग्गियों में रहने वाले लोगों की बीमारी समझते हैं। शहर की अच्छी सोसाइटियों, कालोनियों में रहने वाले लोग सोचते हैं कि उनका घर तो काफी साफ-सुथरा रहता है, तो भला उनके यहां डेंगू के मच्छर कैसे आ सकते हैं? मगर सच्चाई कुछ और है। डेंगू बुखार एडीज इजिप्टी मच्छरों के काटने से होता है और ये मच्छर आपके घर के भीतर के गमलों, कूलर, ए.सी. में जमा साफ पानी में भी पैदा हो सकते हैं। डेंगू फैलाने के लिए बस एक ही मच्छर काफी होता है, क्यूंकि डेंगू का संक्रमण होने के लिए एक मच्छर का काटना ही काफी है। इसलिए अगर आपको अपने घर में एक मच्छर भी दिखे, तो जितना जल्दी हो सके, उसे मार दें। आमतौर पर कहा जाता है कि एडीज मच्छर किसी भी तापमान में पनप सकते हैं लेकिन ऐसा है नहीं। मच्छर की यह प्रजाति सिर्फ उस वातावरण में बढ़ सकती है, जहां तापमान 16 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा हो।

डेंगू बुखार लगता तो सामान्य बुखार की तरह ही है, लेकिन इसके कुछ खास लक्षण है, जैसे- ठंड लगने के बाद अचानक तेज बुखार चढ़ना,सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना, बहुत ज्यादा कमजोरी लगना ,भूख न लगना, जी मितलाना और मुंह का स्वाद खराब होना, गले में हल्का-सा दर्द होना, शरीर खासकर चेहरे, गर्दन और छाती पर लाल-गुलाबी रंग के रैशेज होना आदि।

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डेंगू मच्छरों से होने वाली ऐसी बीमारी है जो व्यक्ति की जान भी ले सकती है। यही वजह है कि इसको लेकर सरकारें जागरूकता फैलाने पर खासा ध्यान देती हैं। वैसे तो विज्ञापनों के जरिए ज्यादातर लोग डेंगू के बारे में जानते हैं,लेकिन इसकी सही जानकारी होना जरूरी है। डेंगू से जुड़ा सबसे बड़ा मिथक यह है कि इसे फैलाने वाले एडीज मच्छर सिर्फ दिन में काटते हैं। सच यह है कि ये मच्छर दिन में ज्यादा ऐक्टिव रहते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ये शाम या रात में व्यक्ति को नहीं काट सकते। प्लेटलेट्स में कमी को हमेशा डेंगू की ओर इशारा नहीं होती। संभव है कि यह किसी और वजह से हो रहा हो, इसलिए टेस्ट करवाना जरूरी है।