2024 में यूपी में BJP का मिशन 80/80, उन लोकसभा सीटों पर स्पेशल प्लान क्या है, जहां अभी नहीं लहरा रहा है भगवा

भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 2024 के लोकसभा चुनावों पर पूरा फोकस जमा दिया है। लगातार तीसरी जीत के साथ हैट्रिक की तैयारी में लगी बीजेपी कोई भी मौका चूकना नहीं चाहती है। 80 लोकसभा सीटों के साथ उत्तर प्रदेश की खासी अहमियत है। इसलिए प्रदेश पर जोर भी पूरा लगा हुआ है। बीजेपी ने देशभर की 144 लोकसभा सीटों के लिए यह प्लान तैयार किया है। केंद्रीय और राज्य स्तर के नेतृत्व का 3 लेयर तैयार किया गया है। इसमें उत्तर प्रदेश पर स्पेशल फोकस रखा गया है। सबसे अधिक फोकस उन सीटों पर है, जहां 2019 में बीजेपी को हार मिली थी। 2019 लोकसभा चुनाव में यूपी की 80 में से बीजेपी को 62 और सहयोगी पार्टी अपना दल को 2 सीटों पर जीत मिली थी। 16 सीटों पर भगवा दल को हार का स्वाद चखना पड़ा था। हालांकि इस साल जून में हुए उपचुनाव में आजमगढ़ और रामपुर सीट भी बीजेपी के खाते में आ गई। अभी बसपा के पास 10, कांग्रेस के पास 1 और सपा के पास 3 सीटें हैं। अब बीजेपी की तैयारी उन सीटों को जीतने की है, जहां पर हार का सामन करना पड़ा था।

जानकारी के अनुसार यह योजना बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बी. एल. संतोष की दिमागी उपज है। सूत्रों के अनुसार 3 लेवल पर रणनीति तैयार की गई है। पहला लेवल केंद्रीय नेतृत्व का होगा, जिसमें अमित शाह, जे पी नड्डा और बी एल संतोष शामिल रहेंगे। ये नेता राज्य स्तर पर दूसरे लेवल के नेताओं के साथ मिलकर काम करेंगे। दूसरे लेवल में सीएम

योगी आदित्यनाथ, यूपी के बीजेपी चीफ भूपेंद्र चौधरी, पार्टी महासचिव धर्मपाल सैनी जैसे नेता रहेंगे। इसमें अन्य राज्यों के नेता, पार्टी के पदाधिकारी मिलकर पार्टी की रणनीति को लागू कराने पर काम करेंगे। यूपी की 80 लोकसभा क्षेत्रों में एक लाख 70 हजार से ज्‍यादा बूथ हैं और भाजपा ने अपने संगठनात्मक सर्वे में इनमें से 22 हजार बूथ को कमजोर माना है। सूत्रों के मुताबिक ये बूथ खासतौर से यादव, जाटव और मुस्लिम बहुल हैं।

अब इसके बाद बारी आती है तीसरे लेवल की। इसमें उन लोकसभा सीटों पर केंद्रीय मंत्रियों की मोर्चेबंदी की जाएगी, जहां बीजेपी को हार मिली थी। इसमें रायबरेली, मैनपुरी, आजमगढ़ जैसी सीटें शामिल हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के लोकसभा क्षेत्र रायबरेली के साथ ही मऊ (घोसी सीट), अंबेडकरनगर, श्रावस्ती की जिम्मेदारी केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के पास रहेगी। वहीं रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को बिजनौर, नगीना, सहारनपुर सीटों को जिताने की जिम्मेदारी दी गई है।

पीएमओ में केंद्रीय राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह के कंधों पर सपा पितामह मुलायम सिंह यादव की मैनपुरी सीट की जिम्मेदारी डाली गई है। वह अमरोहा, मुरादाबाद और संभल सीटों पर भी कमल खिलाने के लिए रणनीति के सूत्रधार रहेंगे। उधर पूर्वांचल की गाजीपुर, जौनपुर और लालगंज सीटों पर केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी मैदान में उतरेंगी। यह सभी नेता केंद्रीय समिति और प्रदेश के नेतृत्व के बीच पुल का काम करेंगे। इनका काम जमीनी हकीकत, स्वतंत्र फीडबैक, कमजोर विधानसभा क्षेत्रों के साथ ही जातिगत समीकरण और बीजेपी को लेकर स्थिति की जानकारी मुहैया कराएंगे।

सूत्रों के अनुसार बीजेपी की यह रणनीति आरएसएस की योजना के अनुरूप ही बैठती है, जहां सीनियर नेताओं और जमीनी कार्यकर्ताओं के नेटवर्क को साथ मिलाकर टास्क को कोऑर्डिनेटेड तरीके से तैयार किया जाता है। पार्टी के एक नेता ने बताया कि केंद्रीय मंत्रियों को उनकी संबंधित लोकसभा इलाके में हर महीने दौरा और रात में रूककर योजनाओं को अमली जामा पहनाना जरूरी है। उनका फीडबैक पार्टी के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा।

योगी आदित्‍यनाथ ने हाल में हुए आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव जीतने के बाद दावा किया था कि साल 2024 में उत्तर प्रदेश की 80 में 80 लोकसभा सीटें जीतेंगे। इसके पहले भाजपा ने 80 में 75 सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया था। अब खासतौर से भाजपा उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीट जीतने के लिए यादव, जाटव (अनुसूचित जाति) और पसमांदा (पिछड़े) मुसलमानों को भी साधने में जुट गई है। ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि साल 2024 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के मुस्लिम और यादव ‘एमवाई’ समीकरण तथा बहुजन समाज पार्टी के परंपरागत जाटव मतदाताओं को अपने पाले में लाने के लिए भाजपा पूरी ताकत से जुट गई है।

भाजपा यादवों के साथ ही जाटवों को भी महत्व देने लगी है। इसके पहले भी पार्टी ने 2014 और 2019 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में गैर-जाटव अनुसूचित जातियों मसलन कोरी, धोबी, पासी, खटीक, धानुक आदि समाज के लोगों को विशेष वरीयता दी थी। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को इस्तीफा दिलाकर भाजपा ने उन्‍हें राजनीति की मुख्यधारा में शामिल किया। आगरा के जाटव समाज से आने वाली बेबी रानी को विधानसभा चुनाव में पार्टी ने प्रत्याशी बनाया और चुनाव जीतने के बाद उन्‍हें योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व की सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया। वह भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं।

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जहां तक पसमांदा मुसलमानों का सवाल है तो भाजपा ने योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व की दूसरी सरकार में बलिया के अति पिछड़े मुस्लिम परिवार से आने वाले दानिश आजाद अंसारी को मंत्रिमंडल में शामिल किया और उन्‍हें अल्पसंख्यक मामलों का राज्यमंत्री बनाया गया। अंसारी को जब मंत्री पद दिया गया तब वह विधानमंडल के किसी सदन के सदस्‍य भी नहीं थे, जिन्हें बाद में भाजपा ने विधान परिषद में भेजा। भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर बासित अली हैं।