दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को उपराज्यपाल वीके सक्सेना की अपील पर आम आदमी पार्टी और उसके नेताओं को सोशल मीडिया से कथित मानहानिकारक ट्वीट और अन्य पोस्ट हटाने का निर्देश दिया। कोर्ट ने दीवानी मानहानि के इस मुकदमे में एलजी वीके सक्सेना के पक्ष में अंतरिम निषेधाज्ञा पारित की है।

इससे पहले उपराज्यपाल ने ‘आप’, इसके नेताओं आतिशी सिंह, सौरभ भारद्वाज, दुर्गेश पाठक, संजय सिंह और जैस्मीन शाह को अपने और परिवार के खिलाफ सोशल मीडिया पर साझा किए गए “झूठे” व “मानहानिकारक” पोस्ट, ट्वीट या वीडियो हटाने का निर्देश देने की भी अपील की थी।
उन्होंने ‘आप’ और उसके पांच नेताओं से ब्याज सहित 2.5 करोड़ रुपये के हर्जाने और मुआवजे की भी मांग की है। ‘आप’ नेताओं ने आरोप लगाया था कि सक्सेना ने नवंबर 2016 में खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) का अध्यक्ष रहते हुए चलन से बाहर हो चुकी मुद्रा हासिल करके उसे नयी मुद्रा में परिवर्तित कराया था। पार्टी ने आरोप लगाया था कि सक्सेना 1,400 करोड़ रुपये के घोटाले में शामिल थे।
दरअसल ‘आप’ और इसके नेताओं ने उपराज्यपाल पर 1,400 करोड़ रुपये के कथित घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया था। न्यायमूर्ति अमित बंसल ने अंतरिम राहत देते हुए कहा, “मैं वादी के पक्ष में फैसला सुनाता हूं…।”
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‘आप’ नेताओं ने आरोप लगाया था कि सक्सेना ने नवंबर 2016 में खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) का अध्यक्ष रहते हुए चलन से बाहर हो चुकी मुद्रा हासिल करके उसे नयी मुद्रा में परिवर्तित कराया था। पार्टी ने आरोप लगाया था कि सक्सेना 1,400 करोड़ रुपये के घोटाले में शामिल थे।
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