अगले वर्ष की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव में बंगाल के सियासी गलियारों का माहौल खासा गर्म कर रहा है। वैसे तो बंगाल चुनाव में मुख्य मुकाबला बीजेपी और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के बीच में ही माना जा रहा है, लेकिन इन दोनों राजनीतिक दलों का सियासी खेल बिगाड़ने के लिए AIMIM जैसे कुछ अन्य दलों ने भी कमर कस ली है। दरअसल, खबर मिल रही है कुछ क्षेत्रीय पार्टियों ने भी इस चुनाव में हिस्सा लेने के लिए कूच कर दिया है।
बंगाल चुनाव में हिस्सा लेंगे ये दल
मिली जानकारी के अनुसार, बंगाल से सटे झारखंड की सत्ता पर काबिज झारंखड मुक्ति मोर्चा भी बंगाल चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कवायद में जुटी है, झारखंड के मुख्यमंत्री और पार्टी मुखिया हेमंत सोरेन ने बंगाल चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने ऐलान किया है कि पश्चिम बंगाल में चुनाव में उनकी पार्टी न सिर्फ प्रत्याशी खड़ी करेगी बल्कि पूरे दमखम से चुनाव लड़ेगी। झारंखड मुक्ति मोर्चा का टारगेट बंगाल में 25 से भी अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने का है। इसके अलावा झारखंड के एक अन्य दल आजसू ने भी इस चुनाव में अपनी रणनीति क्षमता आजमाने का निर्णय लिया है।
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हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब ये दोनों पार्टियां बंगाल चुनाव में शिरकर करती नजर आएंगी। इसके पहले वर्ष 2016 में हुए बंगाल विधानसभा चुनाव में भी इन दोनों पार्टियों ने अपने किस्तम की आजमाइश की थी। तब इन दलों ने सूबे के 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन वह एक भी सीट अपने नाम नहीं कर सकी थी। ऐसे में एक बार फिर इन राजनीतिक दलों का फैसला उनके आगे की भविष्य का गवाह बनने वाला है।
इसके अलावा बिहार में बीजेपी के सहयोग से एनडीए की सरकार चला रहे नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने भी पश्चिम बंगाल चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। उम्मीद जताई जा रही है कि बंगाल के 294 सीटों में से 75 सीटों पर जेडीयू अपने उम्मीदवार मैदान में उतार सकती है। जेडीयू की नजर बिहार से सटे मालदा, सिलीगुड़ी, मुर्शिदाबाद, पुरुलिया, बांकुरा और नंदीग्राम जैसे जिलों की सीटों पर है। इन सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए जेडीयू सियासी रणनीति बनाती नजर आ रही है। हालांकि इस चुनाव को लेकर पार्टी की ओर से कोई आखिकारिक बयान सामने नहीं आया है।
उधर बिहार विधानसभा चुनाव में जबरदस्त प्रदर्शन करने वाले असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने बंगाल चुनाव को लेकर पहले ही ऐलान कर दिया है। ओवैसी की यह पार्टी बंगाल में मुस्लिम वोटबैंक मजबूत करती भी नजर आ रही है। अभी जल्द ही में ओवैसी ने बंगाल के नेताओं के साथ बैठक भी की थी। बताया जा रहा है कि वह जल्द ही बंगाल का दौरा भी करने वाले हैं। उनकी नजर सीमांचल से सटे हुए बंगाल के उन इलाकों पर है जहां मुस्लिम वोटबैंक काफी अहम भूमिका अदा करती है। इन्ही सीटों के माध्यम से वे बंगाल की राजनीति में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहते हैं।
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केवल इतना ही नहीं, बिहार में AIMIM के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली बहुजन समाज पार्टी भी बंगाल विधानसभा चुनाव में अपने रणबाकुरों को मैदान में उतार सकती है। मायावती के नेतृत्व में बसपा पहले भी बंगाल में चुनाव लडती रही है, इसलिए उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार भी वह बीजेपी और तृणमूल का खेल बिगाड़ने की कोशिश कर सकती है।
बसपा करीब डेढ़ सौ सीटों पर चुनावी किस्मत आजमा सकती है। वहीं, उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी सपा ने बंगाल चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया है और ममता बनर्जी का समर्थन किया है। इससे पहले सपा बंगाल में चुनाव लड़ती रही है।