अटलजी के भाषणों ने बदल दिया था हवा का रुख, जनसंघ का खुला खाता

वर्ष 1962 के विधानसभा चुनाव में जिले में कांग्रेस की लहर थी। इसके पहले हर सीट पर कांग्रेस का कब्जा था, लेकिन इस चुुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के भाषणों ने हवा का रुख बदल दिया। प्रतापगढ़ में जनसंघ का खाता खुला और पार्टी ने एक साथ तीन सीटों पर जीत हासिल की।

यह कांग्रेस के लिए करारा झटका था। जनसंघ के संस्थापक पं दीनदयाल उपाध्याय के साथ आए अटल बिहारी वाजपेयी ने बेल्हा में जनसंघ के लिए सियासी जमीन तैयार कर दी। पट्टी, सदर व कोहड़ौर सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशियों को करारी पराजय मिली।

1951 के बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में जिले में कांग्रेस का हर सीट पर कब्जा था। जनसंघ का कोई नाम तक नहीं जानता था। जिले में कांग्रेस की लहर थी। कांग्रेस के दिग्गजों को यहां चुनौती देना आसान नहीं था। कांग्रेस का संगठन बहुत मजबूत था। दरअसल, यहीं से अवध की राजनीति की दिशा तय होती थी। यही वजह थी कि जनसंघ के संस्थापक पं. दीनदयाल उपाध्याय और अटल बिहारी वाजपेयी ने जनसंघ को धार देने के लिए प्रतापगढ़ को चुना और इसे ही ठिकाना बनाया। उन नेताओं ने अभाव के बीच अथक प्रयास से जनसंघ को मजबूत नींव प्रदान की। जिले की राजनीति की गहरी समझ रखने वाले आचार्य ओमप्रकाश पांडेय बताते हैं कि 1962 के विधानसभा चुनाव में सदर में कांग्रेस के पूर्व राजस्व राज्य मंत्री भगौती प्रसाद को जनसंघ के बाबूलाल श्रीवास्तव ने हराया था। कोहड़ौर विधानसभा सीट पर जनसंघ के बालेंद्र भूषण सिंह ने कांग्रेस के रामआधार तिवारी को हराया। पट्टी विधानसभा से जनसंघ के ओंकारनाथ द्विवेदी ने कांग्रेस प्रत्याशी को करारी शिकस्त दी।

एक ही दिन पं. नेहरू व अटलजी की थी जनसभा

1962 के विधानसभा चुनाव में एक ही दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू व तब के जनसंघ नेता अटल बिहारी वाजपेयी की जनसभा शहर में हुई थी। अटल बिहारी वाजपेयी ने राजा प्रताप बहादुर पार्क में जनसभा की थी। पं जवाहर लाल नेहरू ने जीआईसी के मैदान में जनसभा कर कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए वोट मांगा था। चुनाव में अटल बिहारी के भाषणों ने हवा का रुख मोड़ दिया था। जनसंघ ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी।

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वाजपेयी ने जिले में डाला था डेरा

1962 के चुनाव में जनसंघ के प्रचार के लिए पं दीनदयाल उपाध्याय व पार्टी के बड़े नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने जिले में डेरा डाल रखा था। वह स्थानीय नेता बाबूलाल श्रीवास्तव व लखनलाल सेठ के यहां रुकते थे।