ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस ने मोहम्मद जुबैर के खिलाफ दर्ज मामलों में नई धारा जोड़ दी है। इस बात की जानकारी गाजियाबाद पुलिस ने शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट को दी। गाजियाबाद पुलिस ने बताया कि मोहम्मद जुबैर के खिलाफ बीते 8 अक्टूबर को दर्ज किये गए मामलों में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 152 के तहत एक नया आरोप दाखिल किया है। यह धारा भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों को आपराधिक बनाता है।
जुबैर की याचिका पर सुनवाई कर रहा था हाईकोर्ट
हाईकोर्ट जुबैर की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उन्होंने यति नरसिंहानंद का एक वीडियो क्लिप कथित रूप से साझा करने को लेकर 8 अक्टूबर को उनके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी।
यति नरसिंहानंद सरस्वती ट्रस्ट की महासचिव ने दर्ज कराई थी एफआईआर
8 अक्टूबर, 2024 की तारीख वाली एफआईआर, यति नरसिंहानंद सरस्वती ट्रस्ट की महासचिव उदिता त्यागी द्वारा दर्ज की गई थी। इसमें की गई शिकायत में दावा किया गया था कि जुबैर ने 3 अक्टूबर को नरसिंहानंद के एक पुराने कार्यक्रम की वीडियो क्लिप मुसलमानों द्वारा उनके खिलाफ हिंसा भड़काने के इरादे से पोस्ट की थी। जुबैर ने एफआईआर को चुनौती देते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख किया।
हाईकोर्ट ने जांच अधिकारी दिए थे निर्देश
इससे पहले 25 नवंबर को मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने जांच अधिकारी (आईओ) को अगली सुनवाई तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था, जिसमें जुबैर के खिलाफ लगाई गई आपराधिक धाराओं का स्पष्ट उल्लेख हो। मंगलवार को कोर्ट में जवाब दाखिल करते हुए आईओ ने बताया कि एफआईआर में दो नई धाराएं जोड़ी गई हैं, यानी धारा 152 बीएनएस और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66।
जुबैर के खिलाफ़ प्राथमिकी शुरू में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धाराओं 196 (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 228 (झूठे सबूत गढ़ना), 299 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य करना), 356 (3) (मानहानि), और 351 (2) (आपराधिक धमकी के लिए सज़ा) के तहत दर्ज की गई थी।
जुबैर ने हाईकोर्ट से की मांग
जुबैर ने उच्च न्यायालय के समक्ष वर्तमान रिट याचिका दायर कर याचिका को रद्द करने और बलपूर्वक कार्रवाई से सुरक्षा की मांग की। अपनी याचिका में, उन्होंने कहा कि उनका एक्स पोस्ट यति के खिलाफ़ हिंसा का आह्वान नहीं करता है। उन्होंने केवल पुलिस अधिकारियों को नरसिंहानंद की हरकतों के बारे में सचेत किया और कानून के अनुसार कार्रवाई की मांग की, और यह दो वर्गों के लोगों के बीच वैमनस्य या दुर्भावना को बढ़ावा देने के बराबर नहीं हो सकता।
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उन्होंने बीएनएस के तहत मानहानि के प्रावधान को इस आधार पर चुनौती दी कि नरसिंहानंद के खिलाफ उनके खुद के वीडियो, जो पहले से ही सार्वजनिक डोमेन में हैं, को साझा करके कार्रवाई की मांग करना मानहानि नहीं हो सकती। याचिका में यह भी कहा गया है कि पैगंबर के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के समय नरसिंहानंद एक अन्य अभद्र भाषा मामले में जमानत पर थे, जहां उनकी जमानत की शर्त यह थी कि वह सांप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा देने वाले कोई भी बयान नहीं देंगे।