नई दिल्ली। लिवर में सूजन या संक्रमण के कारण होने वाली बीमारी हेपेटाइटिस प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं के लिए गंभीर खतरा बन सकती है। खासकर मानसून के मौसम में दूषित पानी और बैक्टीरिया के कारण इसका जोखिम कई गुना बढ़ जाता है। आंकड़ों के अनुसार, हर साल दुनिया भर में करीब 15 लाख लोगों की मौत हेपेटाइटिस से होती है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं के लिए इस बीमारी को लेकर जागरूकता और सतर्कता बेहद जरूरी है।
महिलाओं में क्यों ज्यादा खतरा?
विशेषज्ञों के मुताबिक पुरुषों की तुलना में महिलाओं का इम्यून सिस्टम अपेक्षाकृत कमजोर होता है। वहीं, प्रेगनेंसी के दौरान शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता और भी कम हो जाती है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इसी वजह से गर्भवती महिलाओं को अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
बढ़ सकता है गर्भपात और प्रीमैच्योर डिलीवरी का खतरा
प्रेगनेंसी के दौरान हेपेटाइटिस ए होने पर समय से पहले डिलीवरी का खतरा बढ़ सकता है। कई मामलों में गर्भपात की आशंका भी रहती है। इतना ही नहीं, कुछ स्थितियों में डिलीवरी के बाद शिशु पर भी इसका असर देखा गया है।
हेपेटाइटिस होने के प्रमुख कारण
- दूषित पानी या संक्रमित खून के संपर्क में आना
- मानसून में पनपने वाले बैक्टीरिया और वायरस
- लिवर में सूजन या संक्रमण
- अत्यधिक शराब और सिगरेट का सेवन
- कुछ दवाइयों के दुष्प्रभाव, जिनसे विषाक्त पदार्थ शरीर से बाहर नहीं निकल पाते
हेपेटाइटिस के लक्षण पहचानें
- अचानक भूख न लगना
- तेजी से वजन कम होना
- पेट में दर्द और सूजन
- त्वचा में खुजली और जलन
- पीलिया और यूरिन के रंग में बदलाव
- अत्यधिक थकान, मतली और उल्टी
- आंखों और त्वचा का पीला पड़ना
डाइट में क्या रखें, क्या छोड़ें
गर्भवती महिलाएं फाइबर युक्त आहार, हरी सब्जियां, फल, नट्स, डेयरी प्रोडक्ट्स, बीन्स, सोया और घर का ताजा भोजन लें। खाना बनाने में ऑलिव या कैनोला ऑयल का इस्तेमाल बेहतर है।
वहीं शराब, सिगरेट, जंक और फास्ट फूड, प्रोसेस्ड फूड, रेड मीट, बेक्ड आइटम्स, मक्खन, पनीर और क्रीम से दूरी बनाए रखें।
इन बातों का भी रखें खास ध्यान
- प्रेगनेंसी के दौरान नियमित हेपेटाइटिस जांच जरूर कराएं
- बाहर का और जंक फूड खाने से बचें
- पानी उबालकर या प्यूरीफाइड ही पिएं
- बिना डॉक्टर की सलाह कोई दवा या सप्लीमेंट न लें
टीकाकरण है सबसे मजबूत सुरक्षा
WHO के अनुसार, यदि महिला प्रेगनेंसी के दौरान हेपेटाइटिस पॉजिटिव पाई जाती है, तो शिशु को जन्म के 24 घंटे के भीतर हेपेटाइटिस बी वैक्सीन दी जानी चाहिए। हेपेटाइटिस बी का टीकाकरण मां और बच्चे दोनों को जन्म से पहले और बाद में संक्रमण से सुरक्षा देता है। जिन महिलाओं को पहले से लिवर की समस्या है, उन्हें हेपेटाइटिस ए वैक्सीन की सलाह दी जाती है। इसके साथ ही गर्भवती महिलाओं के लिए फ्लू का टीका भी जरूरी माना जाता है।
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