आर्थिक समृद्धि के साथ ही स्वास्थ्य समृद्धि का भी स्रोत बना शहद उत्पादन

सरकारी मंथन संवाददाता

लखनऊ । खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी), सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार ने  इर्ला रोड, विले पार्ले (पश्चिम) स्थित अपने केंद्रीय कार्यालय में विश्व मधुमक्खी दिवस-2025 के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया। इस वर्ष का आयोजन थीम प्रकृति से प्रेरित मधुमक्खी, सबके जीवन की पोषक पर आधारित था। जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण श्वेत क्रांति से स्वीट क्रांति के अभियान को सशक्त करता है।

इस अवसर पर महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों से आए मधुमक्खी पालक लाभार्थी, प्रशिक्षु, वैज्ञानिकों, सफल मधुमक्खी पालकों, छात्रों, और विशेषज्ञों की उपस्थिति में एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में केवीआईसी की उपलब्धियों को साझा किया गया। यह आयोजन न केवल एक तकनीकी मंच रहा, बल्कि ग्रामीण भारत के नवाचार, प्रेरणा और स्वावलंबन की सजीव मिसाल बना। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि केवीआईसी अध्यक्ष मनोज कुमार ने मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) रूप राशि की उपस्थिति में किया।

मुख्य अतिथि मनोज कुमार ने कहा, मधुमक्खियां हमारे पारिस्थितिकी तंत्र की रीढ़ हैं। ये न केवल शहद देती हैं, बल्कि परागण के जरिए हमारी खेती को समृद्ध करती हैं और पर्यावरण का संरक्षण करती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुरू किया गया हनी मिशन आज गांवों की आजीविका का बड़ा आधार बन चुका है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने जब स्वीट क्रांति का आह्वान किया, तब उन्होंने एक नया रास्ता दिखाया। जिसमें शहद उत्पादन न केवल आर्थिक समृद्धि का, बल्कि स्वास्थ्य समृद्धि का भी स्रोत बना। उनके नेतृत्व में केवीआईसी ने इस दिशा में जो कार्य किया है, वह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है।

अध्यक्ष केवीआईसी ने विशेष रूप से केवीआईसी के हनी मिशन की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि केवीआईसी द्वारा अब तक देशभर में 2,29,409 मधुमक्खी बक्से और मधु कॉलोनियां वितरित की गई हैं, जिससे लगभग 20,000 मीट्रिक टन शहद का उत्पादन हुआ है। इससे मधुमक्खी पालकों को लगभग 325 करोड़ रुपये की आमदनी हुई है। उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 में हनी मिशन से जुड़े मधुमक्खी पालकों ने करीब 25 करोड़ रुपये मूल्य का शहद विदेश में निर्यात किया है।

इस अवसर पर केवीआईसी की सीईओ रूप राशि ने कहा, हनी मिशन केवल एक योजना नहीं, बल्कि यह एक समग्र आजीविका मॉडल है। आज ग्रामीण क्षेत्रों में हजारों युवाओं, महिलाओं और किसानों को इस मिशन से रोजगार मिल रहा है। उन्होंने कहा कि केवीआईसी द्वारा संचालित हनी प्रोसेसिंग प्लांट्स, प्रशिक्षण केंद्र और मार्केटिंग नेटवर्क ने मधुमक्खी पालन को आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर किया है।

केंद्रीय मधुमक्खी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (CBRTI) पुणे की ऐतिहासिक भूमिका पर भी प्रकाश डाला गया। बताया गया कि वर्ष 1962 में स्थापित इस संस्थान ने आज तक 50,000 से अधिक मधुमक्खी पालकों को आधुनिक तकनीकों की ट्रेनिंग दी है। CBRTI का उद्देश्य न केवल शहद उत्पादन को बढ़ावा देना है, बल्कि किसानों को परागण के माध्यम से कृषि और बागवानी उत्पादकता बढ़ाने की जानकारी देना, मधुमक्खी पालन से संबंधित अनुसंधानों को बढ़ावा देना और उद्यमिता विकास को सशक्त करना भी है।

वैज्ञानिकों ने बताया कि मधुमक्खियां केवल शहद उत्पादन तक सीमित नहीं हैं, बल्कि लगभग 75 प्रतिशत खाद्य फसलों का परागण मधुमक्खियों के माध्यम से होता है। यदि मधुमक्खियां न रहें, तो 30 प्रतिशत खाद्य फसलें और 90 प्रतिशत जंगली पौधों की प्रजातियां संकट में आ सकती हैं। कार्यक्रम में देश के सभी हिस्सों से लाभार्थियों ने डिजिटल रूप से अपनी सफलता की कहानियां साझा कीं। इसके साथ ही बच्चों द्वारा प्रस्तुत नाटक, कविता, और निबंध ने कार्यक्रम में जीवंतता भर दी। कार्यक्रम में केवीआईसी के अधिकारी, कर्मचारी और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।