बीते दिन वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार को दिए गए निर्देशों ने विपक्ष को मोदी सरकार पर हमला करने का एक नया मौका दे दिया है। दरअसल, मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को लेकर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। कांग्रेस ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम निर्देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के लिए कड़ी फटकार है।
कांग्रेस ने किया सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का स्वागत
कांग्रेस सांसद किरण कुमार चामला ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को यह निर्देश देकर करारा तमाचा मारा है कि अगली सुनवाई तक बोर्ड में कोई गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होगा और साथ ही संपत्तियों की स्थिति पर यथास्थिति बनी रहेगी… हम आज सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हैं।
एआईएमआईएम नेता और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का मानना है कि यह काला कानून असंवैधानिक है क्योंकि यह मौलिक अधिकारों का हनन करता है। हम अंतरिम आदेश को सावधानी से देखते हैं क्योंकि इस कानून में 40-45 संशोधन हैं…जब भारत सरकार वक्फ को कमजोर करने वाले नियम बनाती है, तो यह संघवाद के खिलाफ होगा। उन्होंने कहा कि इस कानून में कई धाराएं हैं जो वक्फ को कमजोर करती हैं। इसके खिलाफ हमारी कानूनी लड़ाई और विरोध जारी रहेगा। यह कानून वक्फ को बचाने के लिए नहीं बल्कि इसे नष्ट करने के लिए है।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल से आश्वासन दर्ज किया कि वक्फ बोर्ड या परिषदों में कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी और अगली सुनवाई तक वक्फ संपत्तियों को डी-नोटिफाई नहीं किया जाएगा।
इससे पहले गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल के इस आश्वासन पर गौर किया कि अगली सुनवाई तक वक्फ बोर्ड या काउंसिल में कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि मौजूदा वक्फ संपत्तियों, जिनमें उपयोगकर्ता द्वारा पंजीकृत या अधिसूचना के माध्यम से घोषित संपत्तियां शामिल हैं, की पहचान नहीं की जाएगी।