सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ अधिनियम के खिलाफ दायर याचिकाओं पर की सुनवाई, केंद्र से पूछा बड़ा सवाल

वक्फ अधिनियम में हाल ही में किए गए संशोधनों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र से पूछा कि क्या वह मुसलमानों को हिंदू धार्मिक ट्रस्टों का हिस्सा बनने की अनुमति देने को तैयार है।

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी समेत कई राजनेताओं ने संशोधनों के खिलाफ अदालत का रुख किया है। कानून में सबसे विवादास्पद बदलावों में से एक वह प्रावधान है जिसके तहत गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड में शामिल करने की अनुमति दी गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि उपयोगकर्ताओं द्वारा वक्फ को नष्ट करने से समस्याएं पैदा होंगी। न्यायालय ने कहा कि अनेक मस्जिदें 14वीं और 15वीं शताब्दी में निर्मित की गई थीं, तथा उनसे दस्तावेज प्रस्तुत करने की अपेक्षा करना असंभव है। न्यायालय ने वक्फ अधिनियम को लेकर हुई हिंसा पर भी चिंता व्यक्त की।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा कि एक बात जो बहुत परेशान करने वाली है, वह है हो रही हिंसा। मुद्दा अदालत के समक्ष है और हम फैसला करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट में वक्फ की सुनवाई

इससे पहले, सर्वोच्च न्यायालय ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने दो पहलुओं को रेखांकित किया।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि हम दोनों पक्षों से दो पहलुओं पर विचार करने के लिए कहना चाहते हैं। पहला, क्या हमें इस पर विचार करना चाहिए या इसे उच्च न्यायालय को सौंप देना चाहिए? दूसरा, संक्षेप में बताएं कि आप वास्तव में क्या आग्रह कर रहे हैं और क्या तर्क देना चाहते हैं? उन्होंने कहा कि दूसरा बिंदु हमें पहले मुद्दे पर निर्णय लेने में कुछ हद तक मदद कर सकता है।

केंद्र ने हाल ही में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को अधिसूचित किया, जिसे 5 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिल गई। विधेयक को राज्य सभा में पारित कर दिया गया, जहां 128 सदस्यों ने इसके पक्ष में तथा 95 ने इसके विरोध में मत दिया। इसे लोक सभा में भी पारित कर दिया गया, जहां 288 सदस्यों ने इसके समर्थन में तथा 232 सदस्यों ने इसके विरोध में मत दिया।

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एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी), जमीयत उलमा-ए-हिंद, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके), कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी और मोहम्मद जावेद सहित 72 याचिकाएं अधिनियम की वैधता को चुनौती देने के लिए दायर की गई हैं।