अब असम राज्य में बहुविवाह पर बैन लगाने की योजना तेजी से आगे बढ़ रही है, जिसके तहत एक व्यक्ति की एक से अधिक शादियाँ करने की प्रथा पर प्रतिबंध लग सकता है। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने इस दिशा में अपना कदम बढ़ाया है और इस गंभीर मुद्दे पर लोगों से अपने सुझाव मांगे हैं।
भेजें 30 अगस्त तक अपने सुझाव
जानकारी के मुताबिक, राज्य सरकार ने इस मामले में एक विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट का गठन किया है, जिसमें बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है। इसके आधार पर सरकार ने लोगों से 30 अगस्त तक अपने सुझाव भेजने का आग्रह किया है। गृह और राजनीतिक विभाग के प्रधान सचिव ने एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया है, जिसमें लोगों से EMAIL या अन्य माध्यम से उनके सुझाव भेजने की अपील की गई है।
क्या है अनुच्छेद 254 ?
आपको बता दे, सार्वजनिक नोटिस में कहा गया है कि विवाह समवर्ती सूची के अंतर्गत आता है, जिस पर केंद्र और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं। इसमें आगे बताया गया है, ‘प्रतिकूलता का सिद्धांत (डॉक्टरीन आफ रिपगनैंसी) (अनुच्छेद 254) यह निर्धारित करता है कि यदि कोई राज्य कानून केंद्रीय कानून का विरोध करता है, तो राज्य का कानून रद्द कर दिया जाएगा, अगर उसे भारत के राष्ट्रपति की पूर्व मंजूरी हासिल नहीं।
क्या है अनुच्छेद 25 और 26 ?
जानकारी के मुताबिक, इस नोटिस में यह बताया गया है कि संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के अनुसार अंत:करण की स्वतंत्रता और धर्म का अनुपालन करने का अधिकार पूर्ण नहीं है, बल्कि यह सामाजिक कल्याण, नैतिकता, स्वास्थ्य और विधायी प्रावधानों के अधीन है। इसमें आगे यह भी बताया गया है कि संरक्षण प्राप्त करने के लिए धार्मिक प्रथाएं ज़रूरी और धर्म का अभिन्न अंग अवश्य होना चाहिए।
इसी वर्ष बन सकता है कानून
सरकार ने इस प्रस्तावित कानून को समर्थन देने के लिए असम राज्य के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा द्वारा एक सार्वजनिक नोटिस के माध्यम से लोगों से सुझाव मांगा है। यह कानून बनाने के लिए असम विधानसभा की विधायी क्षमता की जांच करेगा, और उम्मीद है कि इस विषय पर एक सख्त कानून इस वर्ष में बनाया जाएगा।
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