Dehradun News: तरला नागल और ढाकपट्टी में ध्वस्तीकरण नोटिस से हड़कंप, बस्तीवासी निगम पहुंचे

देहरादून। तरला नागल और ढाकपट्टी क्षेत्रों में एमडीडीए द्वारा अचानक जारी किए गए ध्वस्तीकरण नोटिस के बाद स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश और डर का माहौल है। बस्तीवासियों को आशंका है कि जल्द ही उनके मकान उजाड़ दिए जाएंगे और वे अपने परिवारों सहित बेघर हो जाएंगे, जिसके चलते बुधवार को बड़ी संख्या में प्रभावित लोग नगर निगम पहुंचे और महापौर सौरभ थपलियाल से हस्तक्षेप और मदद की गुहार लगाई। नगर निगम परिसर में बस्तीवासी बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों के साथ एकत्र हुए तथा विभिन्न विपक्षी दलों के नेताओं की अगुआई में उन्होंने सरकार और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की, आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार बिना पुनर्वास सुनिश्चित किए सार्वजनिक रूप से बसे परिवारों को तोड़कर सड़क पर लाना चाहती है। हंगामा बढ़ने के बाद बस्तीवासियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने महापौर से मुलाकात की और उन्हें एमडीडीए द्वारा जारी नोटिस दिखाते हुए विरोध जताया और निवेदन किया कि कार्रवाई को रोका जाए तथा पहले पुनर्वास की प्रक्रिया स्पष्ट की जाए। इस पर महापौर सौरभ थपलियाल स्वयं अपने कक्ष से बाहर आए और बस्तीवासियों के बीच खड़े होकर आश्वासन दिया कि वह मामले पर एमडीडीए अधिकारियों और शहरी विकास मंत्री से तुरंत वार्ता करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी परिवार के साथ अन्याय न हो। महापौर के आश्वासन के बाद बस्तीवासी शांत होकर वापस लौट गए, लेकिन क्षेत्र में तनाव अभी भी बना हुआ है।

दरअसल, उच्चतम न्यायालय और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेशों के बाद रिस्पना नदी के अधिसूचित बाढ़ परिक्षेत्र में स्थित अवैध निर्माणों को हटाने की प्रक्रिया तेज की गई है। इसी क्रम में एमडीडीए ने तरला नागल और ढाकपट्टी क्षेत्र के निवासियों को ध्वस्तीकरण और सत्यापन से संबंधित नोटिस जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि बाढ़ क्षेत्र में बने अवैध निर्माणों को कोर्ट आदेश के अनुसार हटाया जाएगा। नोटिस में यह भी कहा गया है कि वर्ष 2016 से पहले बसे पात्र परिवारों को शासनादेश के अनुरूप पुनर्वास उपलब्ध कराया जाएगा। इस दिशा में जिलाधिकारी देहरादून द्वारा नगर आयुक्त की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति बनाई गई है, जिसमें पुलिस अधीक्षक शहर, सचिव एमडीडीए, एसडीएम सदर और सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता शामिल हैं तथा समिति को सर्वे, पात्रता निर्धारण और पुनर्वास प्रक्रिया की जिम्मेदारी दी गई है।

संयुक्त टीम द्वारा घर-घर किए गए सर्वेक्षण में विद्युत बिल, गैस कनेक्शन, आधार सत्यापन और स्थलीय निरीक्षण के आधार पर निवासियों की वैधता जांची गई। रिपोर्ट में सामने आया कि कई परिवार 11 मार्च 2016 से पूर्व से इस क्षेत्र में रह रहे हैं और शासन द्वारा एमडीडीए को हस्तांतरित भूमि पर बने हुए हैं। ऐसे पात्र परिवारों को नगर निगम द्वारा बनाए गए काठबंगला स्थित ईडब्ल्यूएस आवासीय फ्लैटों में पुनर्वासित करने की तैयारी है, जबकि जिन निर्माणों को अवैध पाया जाएगा, उन्हें कोर्ट आदेश के अनुसार ध्वस्त किया जाएगा। स्थानीय लोगों का कहना है कि वर्षों से बसे परिवारों को अचानक बेदखल करना अमानवीय है और प्रशासन को पहले पुनर्वास और बच्चों की शिक्षा, बुजुर्गों की देखभाल तथा आजीविका के साधनों पर विचार करना चाहिए। इस मुद्दे ने देहरादून में राजनीतिक माहौल भी गर्म कर दिया है और पार्टियों ने सरकार पर संवेदनहीनता का आरोप लगाते हुए कहा है कि गरीबों के सिर से छत छीनना किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जाएगा। अब बस्तीवासियों की नज़र महापौर और उच्चस्तरीय बैठक पर है, जो इस विवाद का भविष्य तय करेगी।