प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते दिन यानी की मंगलवार को आंतकवाद को वैश्विक शांति के लिए बड़ा खतरा बताया है। इसी के साथ पीएम मोदी ने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर ही कहा कि कुछ ऐसे देश हैं जो की सीमा पार आतंकवाद को अपनी रणनीतियों के औजार के रूप में उपयोग करते रहते हैं। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) को ऐसे देशों की आलोचना करने में कोई संकोच नहीं करना चाहिए। पीएम मोदी ने डिजिटल माध्यम से शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की शिखर बैठक को संबोधित करते हुए इन बातों का ज़िक्र किया जिसमें कई देशों के राष्ट्रपति मौजूद थे जिसमें चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ आदि मौजूद शामिल थे।
पीएम मोदी ने आतंकवाद को बताया बड़ा खतरा
प्रधानमंत्री ने आंतकवाद को क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए प्रमुख खतरा बताते हुए कहा कि इस संकट से निपटने के लिए कार्रवाई की आवश्यकता है। अफगानिस्तान का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘‘अफगानिस्तान को लेकर भारत की चिंताएं और अपेक्षाएं एससीओ के अधिकांश देशों के समान हैं। ”उन्होंने कहा कि भारत और अफगानिस्तान के लोगों के बीच सदियों पुराने मित्रता वाले संबंध रहे हैं और देखा जाए तो पिछले दो दशकों में हमने अफगानिस्तान के आर्थिक और सामाजिक विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
पीएम मोदी ने कहा कि 2021 के घटनाक्रम के बाद भी हम लगातार मानवीय सहयोग करते करते रहे हैं। यह आवश्यक है कि अफगानिस्तान की भूमि पड़ोसी देशों में अस्थिरता फैलाने और साथ ही चरमपंथी विचारधाराओं को प्रोत्साहित करने के लिए प्रयोग न की जाए। साल 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद वहां की सत्ता पर तालिबान ने कब्जा कर लिया था।
पीएम मोदी ने कहा, ‘‘हम सबको मिलकर यह सोच विचार करने की ज़रूरत है कि क्या हम एक संगठन के रूप में हमारे लोगों की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को पूरा कर सकते है? उन्होंने कहा कि पिछले दो दशकों में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) पूरे यूरेशिया क्षेत्र में, शान्ति, समृद्धि और विकास के लिए एक आवश्यक प्लेटफार्म के रूप में तैयार होकर सामने आया है। पीएम मोदी ने कहा कि इस क्षेत्र के साथ साथ भारत देश के हजारों साल पुराने सांस्कृतिक, पारम्परिक और लोगों के बीच संबंध, हमारी विरासत का जीवंत प्रमाण हैं। पीएम मोदी ने कहा इसमें पहला बसुधैव कुटुम्बकम यानी पूरी धरती हमारा परिवार है और दूसरा सुरक्षा, अर्थव्यवस्था एवं व्यापार, संपर्क, एकता, संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान और पर्यावरण है।