यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमीर जेलेंस्की ने सोमवार देर रात एक ट्वीट करते हुए कहा, कि उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ फोन कॉल पर की और पीएम मोदी से “शांति सूत्र” को लागू करने में भारत की मदद मांगी। राष्ट्रपति जेलेंस्की का यूक्रेन युद्ध पर ‘तटस्थ’ रहने वाले भारत से “शांति सूत्र” पर मदद मांगना थोड़ा आश्चर्यजनक है, क्योंकि पिछले ही हफ्ते यूक्रेनी राष्ट्रपति ने अमेरिका में जीतने का दावा किया था और अमेरिकी संसद में ऐलान किया था, कि वो युद्ध से पैर पीछे नहीं खीचेंगे। तो फिर सवाल ये उठ रहे हैं, कि आखिर अब जेलेंस्की भारत से मदद क्यों मांग रहे हैं?
जेलेंस्की ने किया था पीएम मोदी को फोन
सोमवार को जेलेंस्की और पीएम मोदी की बातचीत ऐसे समय में हुई, जब भारत मास्को के साथ व्यापार संबंधों को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है और रूस, भारत को तेल बेचने के मामले में नंबर-1 पर आ चुका है। जबकि, पश्चिमी देशों ने यूक्रेन में अपने युद्ध के रूस के वित्त पोषण को सीमित करने के लिए नए उपाय पेश किए हैं। पीएम मोदी से टेलीफोन पर बात करने के बाद जेलेंस्की ने ट्विटर पर लिखा, कि “मैंने पीएम नरेंद्र मोदी को फोन किया था और भारत के जी20 के सफल अध्यक्षता पद की कामना की थी।” उन्होंने आगे लिखा, कि “इस मंच पर मैंने शांति सूत्र की घोषणा की थी और अब मैं इसके कार्यान्वयन में भारत की भागीदारी पर अपनी भरोसा जताता हूं।”
जी20 से मदद चाहते हैं जेलेंस्की
जेलेंस्की ने पिछले महीने इंडोनेशिया के बाली में हुए जी20 की बैठक को संबोधित करते हुए विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के समूह से युद्ध को समाप्त करने के लिए यूक्रेन के 10 सूत्री शांति सूत्र को अपनाने की अपील की थी और अब भारत जी20 का अध्यक्ष बन गया है और अगरे एक साल तक भारत इसकी अध्यक्षता करेगा। लिहाजा, अगल एक साल के लिए जी20 का एजेंडा क्या होगा, उसपर भारत का प्रभाव रहेगा। वहीं, जेलेंस्की से बातचीत के बाद भारत सरकार ने बयान में कहा कि, दोनों नेताओं ने सहयोग को मजबूत करने के अवसरों पर चर्चा की। भारत की तरफ से कहा गया, कि “प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की जी20 अध्यक्षता की मुख्य प्राथमिकताओं के बारे में जेलेंस्की को बताया, जिसमें खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा जैसे मुद्दों पर विकासशील देशों की चिंताओं को आवाज देना भी शामिल है।” यानि, भारत ने जेलेंस्की के सामने साफ कर दिया, कि खुद भारत क्यों रूस से तेल का आयात करता है और विकासशील देशों की तेल पर निर्भरता कितनी है, लिहाजा इस युद्ध का खत्म होना कितनी ज्यादा जरूरी है।
शांति प्रयास के लिए भारत का समर्थन
जेलेंस्की से बात करते हुए पीएम मोदी ने खास तौर पर शांति का आह्वान किया है। क्योंकि, पिछले 300 दिनों से चले आ रहे इस युद्ध में शांति के लिए आवाज ना तो रूस ने उठाई है और ना ही यूक्रेन ने उठाई है। पश्चिमी देशों से मिल रहे हथियारों के दम पर बेशक यूक्रेन ने रूस को अभी तक रोक कर रखा हुआ है, लेकिन अब ये युद्ध अंतहीन हो चुका है, जिसके परमाणु युद्ध में बदलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। पीएम मोदी ने जेलेंस्की से साफ शब्दों में शत्रुता को तत्काल समाप्त करने के अपने आह्वान को “दृढ़ता से” दोहराया और उन्हें ये भी बताया, कि शांति के प्रयासों के लिए भारत का लगातार समर्थन रहेगा।
जेलेंस्की ने भारत से क्यों मांगा समर्थन?
हालांकि, जेलेंस्की का भारत से शांति प्रयासों में समर्थन मांगने पर कई विदेश नीति एक्सपर्ट सवाल भी उठा रहे हैं। भारत के विदेश नीति एक्सपर्ट ब्रह्मा चेलानी ने ट्वीट कर कहा है, कि “जेलेंस्की ने अमेरिकी कांग्रेस में कहा था, “हम जीतेंगे।” लेकिन, यूक्रेन के लगभग पांचवें हिस्से पर अपनी पकड़ मजबूत करते हुए रूस, यूक्रेन के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को ध्वस्त कर रहा है, लिहाजा जेलेंस्की अपनी “शांति” योजना के लिए एक तटस्थ भारत का समर्थन मांग रहा है, जो एक अधिकतम मांग है”। लेकिन, क्या जेलेंस्की शांति के लिए समर्थन मांग कर ढोंग नहीं कर रहे हैं? ऐसा इसलिए, क्योंकि पिछले हफ्ते ही अमेरिका ने यूक्रेन की मदद के लिए विशालकाय 44 अरब डॉलर के मदद का ऐलान किया है, जिसमें सैन्य मदद भी शामिल है। तो फिर, क्या इसका मतलब ये नहीं है, कि यूक्रेन को ढाल बनाकर असल में लड़ाई ‘कोई’ और लड़ रहा है और वो ‘कोई’ और असल में युद्ध खत्म ही नहीं करना चाहता है?