वर्ष 2001, दिन 13 दिसंबर, आज ही की तरह संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा था और अचानक परिसर से गोलियों की आवाजें आने लगती हैं. जब तक कोई समझ पाता तब तक पूरे संसद में अफरा-तफरी मच जाती है. थोड़ी ही देर में ये पता चल जाता है कि, संसद पर आतंकी हमला हो गया है. जैसे ही इस बात की जानकारी लगती है. हर तरफ हड़कंप मच जाता है. पांच आतंकवादी संसद को निशाना बनाने के मकसद से परिसर में दाखिल होते हैं और निशाना बनाने की कोशिश करते हैं. वहीं इस आतंकियों को सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मी रोकने लगते हैं. बचाव के लिए आतंकी गोलीबारी शुरू कर देते हैं और इस मुठभेड़ में पांचों आतंकी मार गिराए जाते हैं. हालांकि देश के 9 जवान भी शहीद होते हैं.
आज इनकी शहादत को 21 वर्ष पूरे हो गए. संसद के शीतकालीन सत्र में इन्हीं शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) समेत तमाम बड़े नेताओं ने देश की सुरक्षा में प्राणों को न्यौछावर करने वाले शरीदों को नमन किया.
इन जवानों ने गंवाई जान
संसद पर हुए हमले में दिल्ली पुलिस के पांच सीआरपीएफ जवानों ने अपनी जान गंवाई. खास बात यह है कि इनमें एक महिला कांस्टेबल भी शामिल थी. इसके साथ ही संसद की सुरक्षा सेवा में तैनात दो सहायक भी आतंकियों के हमले का शिकार हो गए, जबकि संसद के एक कर्मचारी को भी जान गंवाना पड़ी. इस आतंकी हमले में संसद में मौजूद एक कैमरामैन की भी मौत हो गई.
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पाकिस्तान समर्थित थे आतंकी
देश की शान पार्लियामेंट पर अटैक करने वाले पांचों आतंकी पाकिस्तान समर्थित थे. ये पांचों आतंकी जैश ए मोहम्मद आतंकी संगठन के थे. इस आतंकी हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियों भी एक्शन मोड पर आईं और जल्द ही इनके मास्टरमाइंड अफजल गुरु को गिरफ्तार कर लिया गया. अफजल गुरु पर देश की अदालत में केस चला और बाद उसे फांसी दे दी गई.