रुझानों में ओवैसी की AIMIM का क्या है हाल? दिल्ली दंगा और बुलडोजर को बनाया था चुनावी हथियार

दिल्ली नगर निगम में शुरुआती रुझानों से इतर अगर राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) द्वारा घोषित परिणामों की बात करें तो आम आदमी पार्टी (आप) ने 58 सीटों पर कब्जा कर लिया है, जबकि भाजपा ने 47 सीटों पर कब्जा कर लिया है। कांग्रेस चार सीटों पर दावा करने में कामयाब रही है। वहीं, सीलमपुर सीट से निर्दलीय उम्मीदवार शकीला बेगम ने जीत हासिल की है। एमसीडी में 250 वार्ड हैं और एक पार्टी को जीतने के लिए 126 वार्ड चाहिए। हालाँकि शुरुआती रुझानों ने बीजेपी को बढ़त दिला दी थी, जैसे ही वोटों की गिनती आधे रास्ते को पार कर गई, आप आगे निकल गई, जबकि कांग्रेस बहुत पीछे रह गई। दिल्ली में मुख्य मुकाबला वैसे तो दो मुख्य पार्टियों आप और बीजेपी के बीच ही नजर आ रहा है, लेकिन इस फाइट में हैदराबाद वाले ओवैसी भाईजान की ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन यानी एआईएमआईएम की स्थिति क्या है?

बता दें कि एआईएमआईएम ने दिल्ली नगर निगम की 250 वार्डों में से 15 पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। रुझानों में एआईएमआईएम का सूपड़ा साफ होता नजर आ रहा है। पूरी लड़ाई में किसी भी वार्ड पर एआईएमआईएम का उम्मीदवार कहीं भी टक्कर देना तो दूर की बात है, पूरे परिदृश्य में ही नजर नहीं आ रहा है। ओवैसी ने जिन वार्डों में अपने उम्मीदवार उतारे थे, उसमें से अधिकांश पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। इनमें बल्लीमारन, जाकिर नगर, मुस्तफाबाद शामिल हैं। इनमें कई ऐसे क्षेत्र हैं जो फरवरी 2020 के दंगों की वजह से प्रभावित हुए थे।

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ओवैसी ने अपने चुनावी भाषणों में भी उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों और बुलडोजर को लेकर केंद्र सरकार को निशाने पर लिया था। ओवैसी ने दिल्ली दंगों के लिए सीधे-सीधे सरकार को जिम्मेदार बताया था। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि एमसीडी में बीजेपी का कोई फायदा नहीं होने वाला है।  बता दें कि साल 2017 के चुनावों में सभी आठ वार्डों में हारने के बाद इस साल भी ओवैसी की पार्टी को रुझानों में कोई खास सफलता हासिल होती नहीं नजर आ रही

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