उत्तर प्रदेश की मैनपुरी लोकसभा, रामपुर और खतौली विधानसभा सीट पर 05 दिसंबर को मतदान है. यहां भाजपा, सपा और राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर है. प्रत्याशियों की जीत -हार दलित वोट पर टिकी है. यूपी के दलित वोट की बसपा प्रमुख एवं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की मजबूत पकड़ मानी जाती है.
बसपा ने उपचुनाव में नहीं उतारा प्रत्याशी
दलित समाज का जाटव वोट बसपा प्रमुख के इशारे पर चलता है. इन तीनों ही सीट पर बसपा का दलित वोट निर्णायक भूमिका में है. यह जिधर भी गया, उसकी जीत तय है. बसपा ने उपचुनाव में किसी भी सीट पर प्रत्याशी नहीं उतारा है, लेकिन किसी को समर्थन भी नहीं किया है. हालांकि, यह वोट सपा की तरफ जाने की उम्मीद थी. लेकिन बसपा के विश्वसनीय सूत्रों ने बताया कि बसपा प्रमुख मायावती सपा मुखिया अखिलेश यादव के आजाद समाज पार्टी के चंद्र शेखर के मंच साझा करने से खफा हैं.
इसके साथ ही चंद्र शेखर उपचुनाव में सपा और आरएलडी प्रत्याशियों के समर्थन में जनसभा और प्रचार कर रहे हैं. बसपा चीफ को लगता है कि दलित समाज से ही चुनौती देने के लिए चंद्रशेखर को तैयार किया जा रहा है. इससे आने वाले समय में बसपा को सियासी नुकसान हो सकता है. बसपा प्रमुख मायावती सपा मुखिया अखिलेश यादव से भी चंद्र शेखर के साथ बढ़ती नजदीकियों से खफा हैं.
बसपा प्रमुख उपचुनाव पर रही है निगाह
बसपा प्रमुख मायावती उपचुनाव पर निगाह रखे हैं. वह मतदान से एक दो दिन पहले ही खामोशी से संगठन के प्रमुख पदाधिकारियों को मैसेज देंगी. संगठन पदाधिकारी समाज को बसपा प्रमुख का मेसेज बताएंगे. इसके बाद ही दलित वोट फैसला लेगा.
क्यों हो रहा चुनाव
मैनपुरी लोकसभा सीट पर सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की 10 अक्टूबर को निधन के बाद चुनाव हो रहा है, जबकि रामपुर शहर सीट पर मुहम्मद आजम खां के हेट स्पीच मामले में सजा होने के बाद विधानसभा सदस्यता रद्द होने पर हो रहा है. खतौली में भी भाजपा विधायक के सजा होने के बाद सदस्यता रद्द होने के बाद चुनाव हो रहा है.