मेरे घर पर 14 घंटे CBI रेड कराई, कुछ नहीं निकला। मेरा बैंक लॉकर तलाशा, उसमें कुछ नहीं निकला। मेरे गांव में इन्हें कुछ नहीं मिला। अब इन्होंने कल 11 बजे मुझे CBI मुख्यालय बुलाया है। मैं जाऊंगा और पूरा सहयोग करूंगा। सत्यमेव जयते… दिल्ली के डेप्युटी सीएम मनीष सिसोदिया के इस ट्वीट के बाद आज एक बार फिर कथित शराब घोटाला चर्चा में आ गया है। दो दिन पहले ही ED ने रद्द की जा चुकी दिल्ली की आबकारी नीति को लेकर मनी लॉन्ड्रिंग संबंधी जांच के तहत दिल्ली में 25 स्थानों पर छापेमारी की थी। जिन परिसरों की तलाशी ली गई, वे शराब के व्यापार और वितरण से जुड़े निजी प्रतिष्ठान हैं। शराब कारोबारी एवं शराब बनाने वाली कंपनी ‘इंडोस्पिरिट’ के प्रबंध निदेशक समीर महेंद्रू को एजेंसी ने इस मामले में पिछले दिनों गिरफ्तार किया था। मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला CBI की उस FIR से संबंधित है, जिसमें दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को भी आरोपी बनाया गया है। दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 में कथित अनियमितताओं को लेकर सीबीआई जांच की सिफारिश की थी।
एक हफ्ते पहले ही CBI ने कथित घोटाले में हैदराबाद के व्यापारी अभिषेक बोइनपल्ली को गिरफ्तार किया है। अधिकारियों ने बताया कि अभिषेक बोइनपल्ली दक्षिणी भारत के कुछ शराब कारोबारियों के लिए कथित तौर पर काम करते थे। उसे पूछताछ के लिए बुलाया गया था। सीबीआई ने पाया कि वह कुछ महत्वपूर्ण सवालों का जवाब देने से बच रहे हैं, जिसके बाद देर रात हिरासत में ले लिया गया। सीबीआई की प्राथमिकी में अभिषेक का नाम बतौर आरोपी दर्ज नहीं है, लेकिन उनके करीबी सहयोगी अरुण रामचंद्र पिल्लई का नाम दर्ज है। आरोप है कि पिल्लई ने ‘इंडोस्पिरिट’ के समीर महेंद्रू से रिश्वत ली थी, जिसे उन्हें दिल्ली के कारोबारी और AAP के नेता विजय नायर तक पहुंचाना था। सीबीआई ने आबकारी मामले में नायर को पिछले महीने गिरफ्तार किया था।
अक्टूबर के पहले हफ्ते में 35 ठिकानों पर छापे
ED ने दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में 7 अक्टूबर को दिल्ली, पंजाब और हैदराबाद में 35 स्थानों पर छापेमारी की थी। कुछ शराब वितरकों, कंपनियों और उनसे जुड़ी संस्थाओं की तलाशी ली गई। ईडी अब तक 125 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी कर चुकी है। ईडी ने इस मामले में AAP के विधायक दुर्गेश पाठक और तिहाड़ जेल में बंद सत्येंद्र जैन से भी पूछताछ की है।
4 नियमों को तोड़ने का आरोप
दिल्ली के मुख्य सचिव की जुलाई में दी गई रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई जांच की सिफारिश की गई थी। इसमें राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन अधिनियम 1991, कार्यकरण नियम (टीओबीआर)-1993, दिल्ली उत्पाद शुल्क अधिनियम-2009 और दिल्ली उत्पाद शुल्क नियमावली-2010 का प्रथम दृष्टया उल्लंघन पाए जाने की बात कही गई थी। अधिकारियों का कहना है कि मुख्य सचिव की रिपोर्ट में पाया गया था कि टेंडर जारी करने के बाद ‘शराब कारोबार संबंधी लाइसेंस हासिल करने वालों को अनुचित लाभ’ पहुंचाने के लिए जानबूझकर और घोर प्रक्रियात्मक चूक की गई। इसमें आरोप लगाया गया था कि सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाकर टेंडक जारी किए गए और इसके बाद शराब कारोबार संबंधी लाइसेंस हासिल करने वालों को अनुचित वित्तीय लाभ पहुंचाया गया।
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सूत्रों ने दावा किया कि आबकारी विभाग ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के नाम पर लाइसेंस धारियों को टेंडर लाइसेंस शुल्क पर 144.36 करोड़ रुपये की छूट दी। उन्होंने बताया कि लाइसेंस के लिए सबसे कम बोली लगाने वाले को 30 करोड़ रुपये की बयाना राशि भी तब वापस कर दी गई, जब वह हवाई अड्डा अधिकारियों से अनापत्ति प्रमाण पत्र हासिल करने में विफल रहा था। जबकि सूत्र ने बताया, ‘यह दिल्ली आबकारी अधिनियम 2010 के नियम 48(11)(बी) का घोर उल्लंघन था, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि बोली लगाने वाले को लाइसेंस प्रदान करने के लिए सभी औपचारिकताओं को पूरा करना होगा। ऐसा न करने पर सरकार उसकी जमा राशि जब्त कर लेगी।’
विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के आधार पर तैयार की गई आबकारी नीति 2021-22 को पिछले साल 17 नवंबर से लागू किया गया था और इसके तहत निजी बोलीदाताओं को शहर भर में 32 क्षेत्रों में 849 दुकानों के लिए खुदरा लाइसेंस जारी किए गए थे।