यूक्रेन और रूस के विवाद और युद्ध (Russia Ukraine War) में एक नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है और वो है NATO. नाटो रूस (NATO And Russia) की ओर से किए गए हमले का सीधा विरोध कर रहा है. रूस के इस कदम से इतना नाराज है कि वो यूक्रेन के समर्थन में रूस पर हमला (Ukraine and Russia Crisis) करने के लिए भी तैयार है. नाटो ने कहा है कि हमारे पास अपने हवाई क्षेत्र की रक्षा के लिए 100 से अधिक जेट और उत्तर से भूमध्य सागर तक समुद्र में 120 से अधिक जहाज हैं. गठबंधन (यूक्रेन) को आक्रामकता (रूस) से बचाने के लिए जो भी जरूरी होगा हम करेंगे. वहीं, रूस भी नाटों के खिलाफ है और माना जाता है कि इस युद्ध के कारणों में नाटो भी सबसे अहम है.

कहा जाता है कि रूस नाटो को पंसद नहीं करता है, लेकिन सवाल ये है कि आखिर ऐसा क्यों है. नाटो और रूस के बीच किस बात को लेकर विवाद है और क्यों रूस चाहता है कि यूक्रेन भी नाटो में शामिल ना हो. ऐसे में जानते हैं नाटो और रूस के विवाद से जुड़ी हर एक बात…
क्या है नाटो?
रूस और नाटो के बीच विवाद के बारे में जानने से पहले आपको बताते हैं कि आखिर नाटो क्या है. नाटो कुछ देशों का एक इंटरगवर्नेंट मिलिट्री संगठन है. इसका मकसद साझा सुरक्षा नीति पर काम करना है. जैसे मान लीजिए अगर किसी नाटो देश पर कोई दूसरा देश हमला करता है तो पूरे नाटो के देश प्रभावित देश के साथ खड़े हो जाते हैं और उसकी मदद करते हैं. इसका पूरा नाम नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (NATO) है.
दूसरे विश्व युद्ध के बाद दुनिया दो खेमों में बंट गई थी और उस वक्त दो सुपर पावर थे, जिसमें अमेरिका और सोवियत संघ शामिल था. उस वक्त सोवियत संघ के अलावा दूसरे खेमे ने अपनी अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए प्रयास शुरू किया था और उसके साथ ही उन देसों ने सोवियत संघ और अन्य देशों से खुद को सुरक्षित करने के लिए ये संगठन बनाया था ताकि वे एक साथ होकर खुद की रक्षा कर सकें.
क्यों नाटो का विरोध करता है रूस?
रूस और नाटो के बीच विवाद कुछ नया नहीं है. यह विवाद काफी पहले शुरू हो गया था. दरअसल, जब दूसरे विश्व युद्ध के बाद जब नाटो बनाया गया तो उस वक्त वेस्ट के देश नाटो से जुड़े थे, लेकिन यह धीरे-धीरे ईस्ट की तरह बढ़ रहा है, जो रूस को रास नहीं आ रहा है. आप नीचे दी गई फोटो में देख सकते हैं कि आखिर किस तरह नाटो और सदस्य बना रहा है. हाल ही में साल 2017 से 2020 के बीच में भी दो देश नाटो में शामिल हुए हैं. इसमें कुछ ईस्ट के देश भी नाटो में जा रहे हैं. वहीं, विवाद की वजह ये भी है कि क्योंकि यह सोवियंत संघ के खिलाफ बनाया गया था और रूस सोवियत संघ का ही हिस्सा था.
साथ ही यूक्रेन के मामले में रूस का मुद्दा और डर ये है कि अगर यूक्रेन नाटो में शामिल हो जाता है तो नाटो की सेना रूस के बॉर्डर तक पहुंच जाएगी और रूस, यूक्रेन से काफी बड़ा बॉर्डर साझा करता है. यहां यूक्रेन की जमीन पर नाटो की फोर्स भी होगी. वहीं, अगर रूस के करीब नाटो की फोर्स पहुंच जाती है तो रूस के लिए मुश्किल हो सकती है. क्योंकि, रूस का मानना है कि नाटो में जितने देश शामिल होंगे, उतना ही अमेरिका पावरफुल हो जाएगा, जिस वजह से विवाद हो रहा है.
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दरअसल, दूसरे विश्व युद्ध के पास दो प्रमुख देशों के गुट थे, जिसमें यूएस और सोवियत संघ थे. लेकिन, अब नाटो के जरिए अब यह ईस्ट की तरह आगे बढ़ रहा है और सोवियत संघ पहले ही 15 देशों में विभाजित होने से कमजोर हो गया है और इनमें भी कुछ देश नाटो में शामिल हो गए हैं. ऐसे में रूस चाहता है कि यूक्रेन नाटो में शामिल ना हो और उसके बॉर्डर तक नाटो की सेना ना आ सके. इस वजह से रूस की ओर से नाटो का विरोध किया जा रहा है.
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