अवधी लोक गीतों से सजी भारत महोत्सव की चौथी संध्या

देश के विभिन्न अंचलों की लोक संस्कृति को दर्शा रहा है ‘भारत महोत्सव’। यहां अवधपुर के रामलला के विवाह के गीत सुनाई दिए तो ब्रज क्षेत्र के श्रीकृष्ण और राधा के प्रेम को भी लोक संगीत के जरिए दिखाया गया। महोत्सव का आयोजन लखनपुरी के ऑशीयाना स्थित कांशीराम स्मृति उपवन में हो रहा है। महोत्सव की चौथी सांस्कृतिक संध्या में अवधी लोकनृत्यों के साथ राजस्थानी नृत्य की मनोरम बयार बही।

शुक्रवार को सांस्कृतिक संध्या का आरम्भ शक्ति श्रीवास्तव के गाए अवधी गीत ‘देवी मईया खोली न किवड़िया…’ से हुआ। भक्ति भावना से ओतप्रोत इस प्रस्तुति के उपरान्त डॉ.अंजू भारती ने ‘शेर भर चनवा और राम मोरे चल गईले… भोजपुरी गीत को सुनकर श्रोताओं का मन मोह लिया।

इस प्रस्तुति उपरान्त शबिना शैफी ने अपनी आवांज में झूला गीत गाया, जिसके बोल थे ‘श्याम आया रे…., रजनी तिवारी ने मैथिली गीत ‘आजू मिथला नगरिया…‘, एमन जावेद फारूकी ने गढ़वाली गीत और सीमा विरमानी एवं देवेन्द्र कुमार ने अपनी सुमधुर आवाज़ में पंजाबी टप्पे को सुनाकर श्रोताओं को अपने साथ खूब झुमया।

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इसके बाद जया श्रीवास्तव के गाए गीत ‘होलिया में उड़े रे गुलाल, कहियो रे मंगेतर से… पर स्निग्धा मालवीय, उन्नति श्री और अक्क्षिता सिंह ने अवधी लोक नृत्य की मनोरम छटा बिखेरी।अनन्या तिवारी, वर्तिका सक्सेना, मन्जीरी सक्सेना, सुरभि गौतम, सृष्टि सोनी और शिवम यादव ने राजस्थानी नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का संचालन सम्पूर्ण शुक्ला और अरविन्द सक्सेना ने किया।