राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत 22 नवम्बर से शुरू होने वाले सामूहिक दवा सेवन (एमडीए) की तैयारियों को लेकर जिले के एक होटल में सेन्टर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था के सहयोग से मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया । कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. मनोज अग्रवाल ने कहा – फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत सामूहिक दवा सेवन जनपद में 22 नवंबर से 7 दिसम्बर तक चलेगा । इस अभियान को सफल बनाने में मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है । इसलिए आप लोग इस अभियान में सक्रिय भूमिका निभाकर इसे सफल बनाएं ।
राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा. के.पी. त्रिपाठी ने बताया – एमडीए के तहत आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर–घर जाकर लोगों को फाइलेरिया की दवा (एल्बेंडाजोल और डाईइथाइलकार्बामजीन) खिलाएँगी । दो साल से कम आयु के बच्चों, गर्भवती और गंभीर रोगों से ग्रसित व्यक्तियों को इन दवाओं का सेवन नहीं करना है । दवा को चबाकर खाना है । खाली पेट दवा का सेवन नहीं करना है । इसलिए 11 बजे से दवा खिलानी शुरू की जाएगी तब तक सभी लोग नाश्ता कर लेते हैं ।
जनपद में अभियान की तैयारियों के लेकर नोडल अधिकारी ने बताया कि जिले को 19 इकाइयों में बांटा गया है – 11 ग्रामीण और 8 शहरी । कुल 3673 टीमें घर घर जाकर लोगों को अपने सामने ही दवा खिलाएंगी । हर टीम एक दिन में 25 घरों का भ्रमण करेगी । दवा के सेवन के प्रतिकूल प्रभाव से बचाव के 100 आरआरटी टीमों का गठन किया गया है । पूरे अभियान की निगरानी के लिए 753 सुपरवाइजर नियुक्त किए गए हैं । इसके साथ ही कोई समस्या होने पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के कंट्रोल रूम नंबर – 0522-4523000 पर कॉल कर समस्या का समाधान कर सकते हैं । इसके साथ ही प्रतिदिन शाम को पूरे दिन के अभियान की समीक्षा की जाएगी ।
डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि मरते हुए परजीवियों के प्रतिक्रिया स्वरूप कभी-कभी दवा का सेवन करने के बाद सिर दर्द, शरीर दर्द, बुखार, उल्टी तथा बदन पर चकत्ते एवं खुजली देखने को मिलती है लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है । यह लक्षण आमतौर पर स्वतः ठीक हो जाते हैं ।
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डा. त्रिपाठी ने बताया कि जो लोग फाइलेरिया से पीड़ित हैं वह भी इस दवा का सेवन जरूर करें ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि डा. तनुज ने कहा- फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला संक्रामक रोग है, जिसे सामान्यतः हाथी पाँव के नाम से भी जाना जाता है । मच्छर जब किसी फाइलेरिया ग्रसित व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के परजीवी जिन्हें हम माइक्रो फाइलेरिया कहते हैं, वह मच्छर के रक्त में पहुँच जाता है और यही मच्छर जब किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के परजीवी स्वस्थ व्यक्ति के रक्त में पहुँच कर उसे संक्रमित कर देते हैं । इस बीमारी में लिम्फ नोड (लसिका ग्रंथियों) में सूजन जिसके कारण हाथ ,पैरों में सूजन( हाथी पाँव) , पुरुषों में अंडकोष में सूजन (हाइड्रोसील) और महिलाओं में ब्रेस्ट में सूजन या जाती है ।
पाँच सालों तक लगातार साल में एक बार दवा का सेवन करने से इस बीमारी से बचा जा सकता है । फाइलेरिया से हम एमडीए के तहत दवा खाकर बच सकते हैं ।
प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल (पीसीआई) के राज्य प्रतिनिधि ध्रुव सिंह ने कहा – आप मीडिया के लोग समुदाय में लोगों को जागरूक करें कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता जब घर में फाइलेरिया का दवा का सेवन कराने आयेँ तो दवा जरूर खाएं । यह आपके फायदे के लिए है ।
कार्यशाला के अंत में सीफार के सहयोग से आकार फाउंडेशन के कलाकारों ने फाइलेरिया विषय पर नुक्कड़ नाटक का मंचन किया । नाटक के माध्यम से कलाकारों ने बीमारी की गंभीरता को बताया तथा दवा का सेवन करने की अपील की ।
इस मौके पर जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी योगेश रघुवंशी सहित स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मचारी पाथ संस्था से डा. (मेजर) पूनम मिश्रा तथा सीफार की टीम उपस्थित रही ।