बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक कार्यमंत्री नवाब मलिक के विरुद्ध ज्ञानदेव वानखेड़े की मानहानि याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया।
एनसीबी की मुंबई जोन के डायरेक्टर समीर वानखेड़े के पिता ज्ञानदेव वानखेड़े के नवाब मलिक के विरुद्ध दाखिल मानहानि मुकदमे की सुनवाई जस्टिस माधव जामदार की बेंच कर रही थी। ज्ञानदेव के वकील अरशद शेख ने सुनवाई के दौरान 28 पृष्ठ का जवाब पेश किया। अरशद शेख ने कहा कि नवाब मलिक ज्ञानदेव की जाति पर सवाल खड़ा कर पूरे परिवार को परेशान कर रहे हैं। नवाब मलिक के सोशल मीडिया पर इस तरह फोटो और खबर वायरल करने पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।
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जस्टिस जामदार ने नवाब मलिक पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि वे मंत्री पद पर तथा राजनीतिक दल के प्रवक्ता पद पर कार्यरत हैं। उन्हें भी इन तथ्यों को परखकर सोशल मीडिया पर वायरल करना चाहिए था। नवाब मलिक के वकील अतुल दामले ने कहा कि उनके मुअक्कील ने जो भी वायरल किया है वह सभी समीर वानखेड़े के पिता के 2015 के फेसबुक अकाउंट से उठाकर वायरल किया है। वर्ष 2015 से पहले इनके फेसबुक अकाउंट पर दाऊद लिखा हुआ था, फिर उनकी बदनामी किस तरह हुई। समीर वानखेड़े की जाति के बारे में राज्य सरकार की ओर से जारी जाति प्रमाण पत्र की जांच समिति जांच कर रही है, इसलिए नवाब मलिक ने कोई गलत पोस्ट वायरल नहीं किया है। दोनों पक्षों की जिरह के बाद जस्टिस जामदार ने मामले का निर्णय अगले आदेश तक सुरक्षित रख लिया।