सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले पर सुनवाई 15 नवंबर तक के लिए टाल दी है। सुनवाई के दौरान यूपी सरकार के वकील हरीश साल्वे ने सुनवाई टालने की मांग की, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया।
8 नवंबर को कोर्ट ने केवल एक आरोपी का मोबाइल जब्त करने पर सवाल उठाया था। कोर्ट ने संकेत दिया था कि पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस रंजीत सिंह या जस्टिस राकेश कुमार को जांच की जिम्मा दिया जा सकता है। कोर्ट ने कहा था कि क्या बाकी आरोपी मोबाइल इस्तेमाल नहीं करते।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि हम किसानों, पत्रकार और पार्टी कार्यकर्ता की हत्या सहित तीनों मामलों में निष्पक्ष जांच चाहते हैं। सुनवाई के दौरान घटना में मारे गए बीजेपी कार्यकर्ता श्याम सुंदर की पत्नी के वकील ने कहा था कि हमारे केस की सीबीआई जांच हो। हमें पुलिस पर भरोसा नहीं है। तस्वीर देखिए, पुलिस हिरासत में जाने तक वह जीवित थे। यूपी पुलिस की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा था कि पुलिस ने उन्हें भीड़ से बचाने की कोशिश की थी, मगर बचा नहीं सकी।
सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने कहा था हमें लगता है कि एसआईटी तीनों मामलों में अंतर नहीं कर पा रही है। हम किसी दूसरे हाईकोर्ट के पूर्व जज को निगरानी का जिम्मा देना चाहते हैं। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस रंजीत सिंह या जस्टिस राकेश कुमार को जिम्मा दिया जा सकता है। वह देखेंगे कि तीनों केस में चार्जशीट दाखिल हो।
26 अक्टूबर को कोर्ट ने यूपी सरकार को निर्देश दिया था कि गवाहों को सुरक्षा मुहैया कराई जाए। कोर्ट ने कहा था कि मृतक श्याम सुंदर और पत्रकार की मौत पर राज्य सरकार स्टेटस रिपोर्ट पेश करे। कोर्ट ने निर्देश दिया था कि अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत गवाहों के मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान तेज़ी से दर्ज किए जाए।
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बता दें कि लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर को हुई हिंसा में आठ लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में दर्ज एफआईआर में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा को आरोपी बनाया गया है। आशीष मिश्रा पर आरोप है कि उसकी गाड़ी से कुचलकर चार लोगों की मौत हो गई।