वर्ष 2016 में भारत और फ्रांस के बीच हुए 36 राफेल लड़ाकू विमान की डील को लेकर भ्रष्टाचार के आरोपों की आवाज सुनाई देती रही है। अब इन आरोपों की जांच भी शुरू कर दी है। मिली जानकारी के अनुसार, डसौ एविएशन और भारत सरकार के बीच हुई इस डील पर भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच बैठा दी गई है। इस जांच की जिम्मेदारी सौंपते हुए एक जज की नियुक्ति भी की गई है।
फ्रांस की PNF करेगी मामले की जांच
फ्रांस के एक इन्वेस्टिगेटिव जर्नल (पत्रिका) के मुताबिक, दोनों देशों की सरकार के बीच 14 जून 2016 को जिस समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे, उस पर एक एक उच्च-स्तरीय संवेदनशील जांच बिठा दी गई है। फ्रांस के ही एक अन्य मीडिया पोर्टल मीडियापार्ट ने शुक्रवार को खुलासा किया था कि यह आपराधिक जांच एक स्वतंत्र मजिस्ट्रेट द्वारा कराई जाएगी, जो कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांसिस ओलांद के इस डील में उठाए गए कदमों पर सवालों की जांच करेगा।
आपको बता दें कि भारत और फ्रांस के बीच में जब इस डील पर दोनों देशों के ओर से हस्ताक्षर किये गए थे, उस वक्त फ्रांस में फ्रांसिस ओलांद राष्ट्रपति पद पर आसीन थे। मौजूदा राष्ट्रपति मैनुअल मेक्रों वित्त मंत्री पद की जिम्मेदारी निभा रहे थे। इस मामले में फ्रांस की वित्तीय अपराधों से जुड़ी शाखा- फ्रेंच पब्लिक प्रोसिक्यूशन सर्विस (PNF) ने कहा है कि वह 36 राफेल बेचे जाने के मामले में कथित भ्रष्टाचार और पक्षपात के आरोपों की जांच करेगी।
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कुछ दिन पहले फ्रांसीसी मीडिया प्रकाशन ‘मीडियापार्ट’ ने देश की भ्रष्टाचार रोधी एजेंसी की जांच का हवाला देते हुए खबर प्रकाशित की थी कि ‘दसौ एविएशन’ ने एक भारतीय बिचौलिए को दस लाख यूरो की रिश्वत दी थी। फ्रेंच भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी AFA की जांच रिपोर्ट के हवाले से प्रकाशित खबर के मुताबिक, दैसो एविएशन ने कुछ बोगस नजर आने वाले भुगतान किए। कंपनी के 2017 के खातों के ऑडिट में 5 लाख 8 हजार 925 यूरो (4।39 करोड़ रुपए) क्लाइंट गिफ्ट के नाम पर खर्च दर्शाए गए। मगर इतनी बड़ी धनराशि का कोई ठोस स्पष्टीकरण नहीं दिया गया।