पश्चिम बंगाल सरकार के लिए मुसीबत साबित हो रहा नारदा घोटाला मामला अब एक नया मोड़ लेता नजर आ रहा है। दरअसल, इस मामले की जांच कर रही जांच एजंसी सीबीआई ने कलकत्ता हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की है, जिसमें जांच एजेंसी ने इस मामले को कलकत्ता के बाहर स्थानांतरित करने की मांग की है। इसके साथ ही सीबीआई ने अपनी याचिका में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का भी जिक्र किया है, जिसकी वजह से उनकी मुसेबतें बढ़ने वाली हैं।
नारदा घोटाला मामले को लेकर सीबीआई ने बढ़ाया बड़ा कदम
अभी बीते दिनों सीबीआई ने नारदा घोटाला मामले की जांच करते हुए तृणमूल कांग्रेस के दो मंत्रियों और दो विधायकों को गिरफ्तार किया था। इस गिरफ्तारी के बाद तृणमूल कर्यकर्तों ने सीबीआई दफ्तर पर हमला बोल दिया था और जमकर तोड़फोड़ की थी। इसके अलावा ममता बनर्जी, सूबे के क़ानून मंत्री मलय घटक और तृणमूल नेता कल्याण बनर्जी ने सीबीआई की कार्रवाई पर सवाल भी उठाए थे।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, नारदा घोटाला मामले को राज्य से बाहर स्थानांतरित करने की मांग करने वाली सीबीआई की ओर से दायर अर्जी में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कानून मंत्री मलय घटक को पक्षकार बनाया गया है। सीबीआई की ओर से भारत के सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने सोमवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ से कहा था कि यहां जांच एजेंसी के कार्यालय के बाहर मुख्यमंत्री के धरने पर बैठने से असाधारण स्थिति पैदा हो गई है।
आपको बता दें कि नारदा स्टिंग 2014 का मामला है। दिल्ली के एक पत्रकार ने कोलकाता पुहंच कर अपने आप को एक व्यापारी बताते हुए टीएसमसी के सात सांसदों और चार मंत्रियों एक विधायक और एक पुलिस अधिकारी को इन्वेस्टमेंट के नाम पर नगद रुपये दिए थे। इस पूरे घटनाक्रम का स्टिंग तैयार कर लिया गया था। 2016 के विधानसभा चुनाव से पहले यह स्टिंग सामने आया था।
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कोलकाता हाईकोर्ट ने साल 2017 में स्टिंग ऑपरेशन की सीबीआई जांच का आदेश जारी किया था। बताते चलें कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में हकीम, मुखर्जी और मित्रा तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर एक बार फिर से विधायक चुने गए हैं।