पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह बंगाल के हिस्से की ऑक्सीजन दूसरे राज्यों में भेज रही है, जिससे उनके राज्य में ऑक्सीजन की कमी पैदा हो जाएगी और कोविड मरीजों का इलाज खतरे में पड़ जाएगा। उन्होंने कहा, “2020 में, डब्ल्यूएचओ ने केंद्र सरकार को ऑक्सीजन का भंडारण बढ़ाने के लिए कहा था, लेकिन उसने सुझाव की अनदेखी की थी। अब जब पूरा देश ऑक्सीजन की कमी के संकट से जूझ रहा है, तो उसने बंगाल के लिए निर्धारित ऑक्सीजन की आपूर्ति डायवर्ट कर उत्तर प्रदेश को देने का फैसला किया है।”
ममता ने शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “सेल, जो हमें ऑक्सीजन की आपूर्ति करता था, को उत्तर प्रदेश में ऑक्सीजन भेजने के लिए कहा गया। इससे हमारे राज्य में ऑक्सीजन का संकट बढ़ जाएगा।”
मुख्यमंत्री ने कहा, “इस समय, ऑक्सीजन और दवाओं का संकट है। हमने औद्योगिक उद्देश्यों के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद कर दी है और इसे केवल चिकित्सा उद्देश्यों के लिए उपयोग करने का निर्णय लिया है। हमने 5,000 सिलेंडर के स्टॉक की व्यवस्था की है और 15,000 सिलेंडर का अतिरिक्त स्टॉक है। अगले कुछ दिनों के लिए हमारी जरूरतों को पूरा करने वाले 20,000 सिलेंडरों का भंडारण किया जाएगा।”
बाद में, राज्य सरकार ने एक नोट में कहा, “भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 21 अप्रैल को पश्चिम बंगाल में स्थित विभिन्न संयंत्रों से 200 मीट्रिक टन ऑक्सीजन राज्य के बाहर आवंटित किया था। वर्तमान रोगी भार और संक्रमण की बढ़ती प्रवृत्ति देखकर यह उम्मीद की जाती है कि पश्चिम बंगाल में खपत का स्तर अगले कुछ हफ्तों में लगभग 450 मीट्रिक टन प्रतिदिन हो जाएगा।”
“इसलिए, पश्चिम बंगाल के बाहर तरल ऑक्सीजन का वर्तमान आवंटन राज्य में कोविड के रोगियों के चिकित्सा उपचार को खतरे में डाल देगा। पश्चिम बंगाल सरकार ने तदनुसार 22 अप्रैल को भारत सरकार से अनुरोध किया है कि राज्य की आवश्यकता पर विचार करे और इसे वापस न ले। पश्चिम बंगाल में उपलब्ध मेडिकल ऑक्सीजन को कहीं और न भेजे।”
देश में कोविड मामलों में वृद्धि के लिए केंद्र पर लापरवाही बरतने और जिम्मेदार होने का आरोप लगाते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा, “यह केंद्र सरकार की विफलता है। इसने न केवल डब्ल्यूएचओ की चेतावनी को नजरअंदाज किया है, बल्कि कदम उठाने में भी कमी की है। देश में बीमारी के बढ़ने के खिलाफ काम करने के बजाय, उन्होंने बंगाल को जीतने के लिए अपने सभी प्रयास लगा दिए। छोटे और बड़े भाजपा नेता महीनों से इस राज्य में हैं और हमें नहीं पता कि वे कोविड संक्रमित हैं या नहीं। वे इस राज्य के लोगों के जीवन को खतरे में डाल रहे हैं।”
ममता ने यह भी दावा किया कि कोविड की स्थिति पर चर्चा करने के लिए उच्च संक्रमण दर वाले राज्यों के सीएम के साथ शुक्रवार को प्रधानमंत्री द्वारा आयोजित बैठक में उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया।
उन्होंने कहा, “10 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित किया गया, जहां कोविड के मामले अधिक हैं। लेकिन मुझे आमंत्रित नहीं किया गया। क्या मुझे आमंत्रित किया गया? बुलाया जाता तो मैं बैठक में जरूर भाग लेती।”
हर शिकायत पर भाजपा के पक्ष में निर्णय लेने के कारण चुनाव आयोग पर कटाक्ष करते हुए ममता ने कहा, “गुरुवार को रात 10 बजे के बाद आए चुनाव आयोग के निर्देश के कारण मैं कोई बड़ी रैली और बैठकें नहीं कर सकती।”
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उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री कोलकाता में एक रैली करने वाले थे और जब उन्होंने इसे रद्द कर वर्चुअली संबोधित करने का निर्णय लिया, तब रात 10 बजे के बाद चुनाव आयोग ने निर्देश जारी किया। हम चुनाव पैनल को बाकी तीन चरणों के चुनाव एक साथ कराने के लिए लगातार कह रहे हैं, लेकिन यह ऐसा नहीं करेगा। यह तो बीजेपी की तरफ से काम कर रहा है न!”