जैसे-जैसे पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीख करीब आती जा रही है, सूबे की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मुश्किलें बढती ही जा रही हैं। अभी बीते दिनों जहां ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस के नेताओं द्वारा लगातार दिए जा रहे इस्तीफों ने ममता सरकार की नींव हिलती नजर आ रही थी। वहीं, अब ममता सरकार के कार्यकाल में हुए शारदा घोटाले की जांच कर रही सीबीआई द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर किए गए हलफनामें ने ममता सरकार को भ्रष्टाचार के कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है।
ममता सरकार पर फूटा भ्रष्टाचार के आरोपों का बम
एक न्यूज पोर्टल से मिली जानकारी के अनुसार, शारदा घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में दायर किए गए अपने हलफनामे में कहा है कि ममता सरकार ने मुख्यमंत्री राहत कोष से इस घोटाले में फंसी तारा टीवी कंपनी के कर्मचारियों को सैलरी दी।
सीबीआई ने कोर्ट में कहा कि मई 2013 से लेकर अप्रैल 2015 के बीच तारा टीवी के कर्मचारियों की सैलरी के लिए हर महीने मुख्यमंत्री राहत कोष से 27 लाख रुपये दिए गए। इस दौरान तारा टीवी एंप्लाइज वेलफेयर एसोसिएशन को 6।21 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। सरकारी फंड से प्राइवेट कंपनी के कर्मचारियों को सैलरी देने का यह पहला मामला है।
सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने कर्मचारियों को कंपनी के फंड से सैलरी देने को कहा था, लेकिन बंगाल सरकार ने मुख्यमंत्री राहत कोष का पैसा दे दिया। जांच एजेंसी ने कहा कि इस मामले में पश्चिम बंगाल के चीफ सेक्रेटरी से जानकारी मांगी गई थी, लेकिन राज्य सरकार ने आधे-अधूरे दस्तावेज ही मुहैया कराए।
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ममता सरकार में हुए 2460 करोड़ रुपये के शारदा चिटफंड घोटाले मामले की जांच सीबीआई कर रही है, सीबीआई को यह जांच वर्ष 2014 में सौंपी गई थी। भष्टाचार के इस मामले में कोलकाता के पुलिस कमिश्नर रह चुके राजीव कुमार भी आरोपी हैं। सीबीआई का कहना है कि इस मामले में राजीव गांधी जांच में बिलकुल भी सहयोग नहीं कर रहे हैं इस वजह से उनकी गिरफ्तारी जरूरी है
आपको बता दें कि शारदा चिटफंड घोटाला मामले में राजीव कुमार पहले भी गिरफ्तार हो चुके हैं। हालांकि, इस मामले में वह जमानत पर रिहा भी किये जा चुके हैं।