जनपद-सीतापुर के विकासखण्ड गोंदलामऊ के ग्राम पंचायत गांगूपुर में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं अनियमितता के सम्बन्ध में अनेकों शिकायतों की जांच का मामला
ग्राम्य विकास मंत्री राजेन्द्र प्रताप सिंह ‘‘मोती सिंह‘‘ द्वारा प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास एवं आयुक्त, ग्राम्य विकास को अनियमितताओं की जांच हेतु पारित आदेश बेअसर
अनियमितताओं की जांच हेतु आयुक्त, ग्राम्य विकास कार्यालय द्वारा जारी आदेश का असर भी जिले के अधिकारियों के आगे शून्य, फलस्वरूप जांच कार्यवाही ठण्डे बस्ते में
लखनऊ (ब्यूरो)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दावा प्रदेश को भ्रष्टाचारमुक्त राज्य बनाने का है किन्तु शासन-प्रशासन के कुछ अधिकारी उक्त दावे को अमली जामा पहनाने में पूरी तरह बाधक बने हुए हैं। ग्राम प्रधान व ग्राम पंचायत विकास अधिकारी द्वारा ग्राम पंचायत में व्यापक स्तर पर की गयी गम्भीर अनियमितताओं की जांच के सम्बन्ध में आयुक्त, ग्राम्य विकास, उत्तर प्रदेश का जारी आदेश जनपद सीतापुर के अधिकारियों पर बेअसर तो है ही, प्रदेश के ग्राम्य विकास मंत्री का आदेश भी विभागीय अधिकारियों के लिए शून्य एवं बेअसर है ।
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मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश बनाने के दावे में शासन-प्रशासन के अधिकारी बने बाधा
प्रकरण जनपद-सीतापुर के विकासखण्ड गोंदलामऊ के ग्राम पंचायत गांगूपुर में ब्यापक स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार एवं अनियमितता के सम्बन्ध में ग्राम वासियों एवं जन प्रतिनिधियों द्वारा दिये गये अनेकों शिकायतीपत्रों में उल्लिखित शिकायतों की जांच से जुड़ा हैं। बताते चलें कि इस ग्राम पंचायत में वर्तमान ग्राम प्रधान श्रीमती प्रेमा देवी है तथा इसके पूर्व इनके पुत्र बृजेन्द्र बहादुर ग्राम प्रधान रहें है। वर्तमान में यहां पवन कुमार तिवारी ग्राम पंचायत विकास अधिकारी के रूप में तैनात हैं इसके पूर्व अवधेश कुमार तथा राजेन्द्र कुमार शुक्ला इस ग्राम पंचायत में ग्राम विकास अधिकारी के रूप में कार्यरत रहें हैं। इस ग्राम पंचायत की वर्तमान ग्राम प्रधान प्रेमा देवी तथा गत पंचवर्षीय योजना में प्रधान रहे इन्ही के पुत्र बृजेन्द बहादुर द्वारा ग्राम पंचायत के अन्तर्गत विभिन्न विकास कार्यों में व्यापक फर्जीवाड़ा करके विना कार्य कराये कार्य के सापेक्ष धनराशि का भुगतान दर्शाकर शासकीय धन का गबन करने से जुड़ा है।
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आवंटन में पात्र ब्यक्तियों को नजरंदाज कर नियमों/मानकों के विपरीत
पारिवारिक आईडी में हेराफेरी कर कोटिक्रम को छोड़ते हुए अपात्रों को आवास आबंटित करने, आवंटित आवास को लाभार्थी को न देकर प्रधान द्वारा अपने करीबी ब्यक्तियों को दे देने ,विभिन्न मदों में सामग्री का क्रय किये बिना उसके सापेक्ष भुगतान कर शासकीय धन का दुरूपयोग करने, मनरेगा योजना में विगत दो पंचवर्षीय योजना में व्यापक स्तर पर गड़बडी कर शासकीय धन का दुरूपयोग/ बंदरबाट करने तथा विना कार्य किये हुए अपने पुत्र/भाई तथा अपने सम्बन्धियों को लाखों रूपये का फर्जी भुगतान कराकर उसमें बंदरबांट कर शासकीय धन का गबन करने की अनेकों शिकायतें इस ग्राम पंचायत के विभिन्न नागरिकों द्वारा समय-समय पर अपने शपथपत्र सहित प्रधानमंत्री से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री, ग्राम्य विकास मंत्री, पंचायतीराज मंत्री तथा शासन के सम्बन्धितविभागों के वरिष्ठ अधिकारियों एवं जनपद के जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी एवं अन्य सम्बन्धित अधिकारियों को भेजी जा चुकी हैं। किन्तु आज तक इस ग्राम पंचायत की जांच किसी भी स्तर से नही करायी जा सकी।
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विधायक भी मुख्यमंत्री को भेज चुके पत्र
भारतीय जनता पार्टी के विधायक धीरेन्द्र सिंह द्वारा भी अपना शिकायती पत्र प्रदेश के मुख्यमंत्री व ग्राम्य विकास मंत्री को दिया गया फिर भी सम्बन्धित ग्राम प्रधान की पहुंच के चलते शिकायतों की जांच आज तक नही हुई। यह भी बता दें कि इस ग्राम पंचायत के विभिन्न नागरिकों ने तथा भारतीय जनता पार्टी के विधायक धीरेन्द्र सिंह ने इस ग्राम पंचायत के उपरोक्त ग्राम प्रधानों एवं ग्राम पंचायत में समय-समय पर कार्यरत रहे ग्राम पंचायत/ग्राम विकास अधिकारी तथा पंचायत मित्र द्वारा ग्राम पंचायत में व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार किये जाने की तथ्यात्मक शिकायतें प्रदेश के ग्राम्य विकास मंत्री से भी करते हुए शिकायती पत्र दिये गये। ग्रामवासियों एवं विधायक धीरेन्द्र सिंह के प्राप्त शिकायती पत्रों पर कार्यवाही करते हुए प्रदेश सरकार के ग्राम्य विकास मंत्री राजेन्द्र प्रताप सिंह ‘‘ मोती सिंह‘‘ द्वारा शिकायतों की जांच कराने हेतु विस्तृत निर्देश प्रमुख सचिव, ग्राम्य विकास शासन को को अपने पत्रांकः वीआईपी-619/मंत्री/ग्रा0वि0/2019 दि0 04-10-2019 पत्रांकः वीआईपी-631/मंत्री/ग्रा0वि0/2020 दिनाँक 0502-2020 पत्रांकः वीआईपी-1384/मंत्री/ ग्रा0वि0/2020 दि0 06-03-2020 पत्रांकः वीआईपी-2937/मंत्री/ग्रा0वि0/2020 दिनाँक 11-09-2020 द्वारा दिये गये किन्तु ग्राम्य विकास मंत्री के उक्त आदेश भी बौने तथा सम्बन्धित अधिकारियों के स्तर पर बेअसर साबित हुए परिणामतः शिकायतों की जांच आज तक नही सुरू हुई है। ग्राम्य विकास मंत्री के स्तर से प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास को बार-बार निर्देशित करने के बावजूद निर्देश के अनुसार अभी तक जांच न कराने से यह स्पष्ट होता है कि अनियमितताओं की जाँच हेतु जारी आदेश का असर भी शासन के अधिकारियों के आगे शून्य हैं।
यही नही इस ग्राम पंचायत में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजनान्तर्गत स्वीकृत आवासों में ग्राम प्रधान एवं ग्राम विकास अधिकारी द्वारा गम्भीर अनियमितताओं के सम्बन्ध में ग्राम गांगूपुर के अनेक ग्रामवासियों ने संयुक्त हस्ताक्षर से ग्राम्य विकास मंत्री को सम्बोधित एवं अन्य को पृष्ठांकित अपना शिकायती पत्र दि0 31-8-2020 दिया गया जिसके क्रम में भी ग्राम्य विकास मंत्री राजेन्द्र प्रताप सिंह‘‘मोती सिंह‘‘ ने आयुक्त ग्राम्य विकास उ0प्र0 को अपना पत्र स्थलीय सत्यापन /जांच मुख्यालय स्तर के 02 अधिकारियों की टीम गठित कर कराने के निर्देश दिये। सूत्रों के अनुसार मंत्री के उक्त निर्देशों पर ग्राम्य विकास आयुक्त कार्यालय स्तर से जांच टीम गठित हुई तथा गठित टीम द्वारा 5 एवं 06-10-2020 को सम्बन्धित ग्राम पंचायत में आवासों की जांच हेतु समय भी निर्धारित किया किन्तु गठित टीम द्वारा सम्बन्धित ग्राम पंचायत की जांच नही की गयी तथा प्रस्तावित जांच स्थगित कर दी गयी जो आज तक यथावत् स्थगित है। आखिर ग्राम्य विकास आयुक्त स्तर से जांच के सम्बन्ध में कोई कार्यवाही न कर जांच को स्थगित कर देना यही प्रमाणित करता है कि आयुक्त ग्राम्य विकास भी ग्राम्य विकास मंत्री के आदेश का अनुपालन न कर मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश करने के सपने को पूरा करने में बाधक होकर कार्य कर रहे हैं।
निष्पक्ष एजेन्सी से जांच कराने की मांग
इस ग्राम पंचायत के पंचायत मित्र कौशल द्वारा अपने भाइयों अवधेश कुमार तथा राकेश जो कि गांव मे न रहकर लखनऊ में मकान बनाकर रहते हैं को तथा अपनी मां मुन्नी देवी को मनरेगा में मजदूरी पर दर्शाकर काफी धनराशि इनके खाते में हस्तान्तरित कर सरकारी धन का दुरूपयोग/बंदरबांट किया गया। इसके अतिरिक्त प्रधान ने अनेकों महिलाओं को तथा अपने करीबी अनेकों ब्यक्तियों को विना काम किये हुए कार्य पर दर्शाकर उनको धनराशि हस्तान्तरित कर उसका बंदरबांट कर लिया गया। यदि इस ग्राम पंचायत में प्रदर्शित मनरेगा कार्यों तथा उसके सापेक्ष धनराशि भुगतान की जांच किसी निष्पक्ष एजेन्सी से करा ली जाय तो लाखों रूपये सरकारी धन के दुरूपयोग/बंदरबाट की वास्तविकता सामने आ जायेगी ।
आवास शासकीय अभिलेखों में दिखाए पूरे असलियत में नहीं बने आज तक
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना मे भी ग्राम प्रधान व ग्राम विकास अधिकारी द्वारा विभिन्न लाभार्थियों से मिलकर तथा उनको गुमराह करके उनके स्वीकृत आवासों के सापेक्ष स्वीकृत धनराशि को बैंक से निकलवाकर ले लिया गया तथा विना आवास निर्मित हुए शासकीय अभिलेखों में आवास कम्पलीट दर्शा दिया गया। ऐसे प्रकरणों के उदाहरण के रूप में अहिबरन पुत्र छोटे, रमाशंकर पुत्र रामविलास द्विवेदी निवासी ग्राम गांगूपुर, गुरूदीप पुत्र सीताराम, अरविन्द पुत्र पुत्तू निवासी ग्राम गनेशपुर मजरा गांगूपुर का नाम शिकायतीपत्र में शिकायतीपत्र द्वारा उल्लिखित किया गया है। यह भी बताया गया है कि रमाशंकर पुत्र रामबिलास द्विवेदी मानसिक रूप से विक्षिप्त है तथा गुरूदीप गांव में न रहकर लगभग 25 वर्षों से दिल्ली में रह रहा है एवं अरविन्द जनपद हरदोई के तहसील सण्डीला के अन्तर्गत ग्राम आबिदखेर स्थित अपनी ससुराल में रह रहा है। आवास योजना में प्रधान द्वारा ग्राम गांगूपुर निवासी जगतपाल पुत्र सुकरू से 36000/ रूपये अनुचित रूप से लिये जाने की बात भी प्रका-रु39या में आयी है। इसके अतिरिक्त अनेकों अन्य गम्भीर शिकायतें भी इस ग्राम पंचायत के सम्बन्ध में हैं। सूत्रों की माने तो सरकार इस ग्राम पंचायत की जांच यदि किसी निषपक्ष एजेन्सी एस0आई0टी0, आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन अथवा सीबीआई से करा लें तो इसमें ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत/ग्राम विकास अधिकारी, पंचायत मित्र के साथ-साथ विकासखण्ड गोदलामऊ के सम्बन्धित अधिकारी तथा जनपद स्तरीय अधिकारियों की भी गर्दन निश्चित रूप से फंसेगी तथा ब्यापक स्तर पर फर्जीवाड़ा उजागर होगा।
ग्राम्य विकास मंत्री द्वारा निरन्तर पारित आदेशों के बावजूद अभी तक सम्बन्धित ग्राम पंचायत में प्रदर्शित अनियमितताओं की जांच न कराने से इस सम्भावना से इन्कार नही किया जा सकता कि सम्बन्धित ग्राम प्रधान तथा जनपदीय अधिकारियों व कर्मचारियों को बचाने हेतु प्रकरण की जांच नही करायी जा रही है तथा ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत अधिकारी तथा जनपदीय अधिकारियों/कर्मचारियों को अभयदान दिया जा रहा है । सम्बन्धित ग्राम पंचायत का ग्राम प्रधान समाजवादी पार्टी की सरकार में अपनी पहुंच के चलते जिलाधिकारी के आदेश के बावजूद ग्राम पंचायत की जांच को तो दबवा ही दिया गया था वर्तमान भारतीय जनता पार्टी की सरकार में भी ग्राम्य विकास मंत्री के स्तर से अनेकों आदेश पारित होने के बावजूद अभी तक विषयगत ग्राम पंचायत की जाँच न होने से ऐसा लगता है कि उक्त ग्राम पंचायत का प्रधान भारतीय जनता पार्टी सरकार पर भी भारी है। अब देखना यह होगा कि भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश करने का दावा करने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में इस ग्राम पंचायत में विभिन्न योजनाओं की निषपक्ष जांच कराती जाती है अथवा ग्राम पंचायत के ग्राम प्रधान की पहुंच के चलते उसके काले कारनामों पर पर्दा डाल दिया जाता है।