अशिक्षित, अर्धशिक्षित, और शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार दिलाने के नाम पर वर्तमान सरकार मात्र वादे कर रही है। गरीबों को सरकारी गल्ले की दुकान से चीनी मिलना बन्द हो गई है। चिंतनीय विषय है राष्ट्रीय युवा पुरस्कार विजेताओं के सम्मान एवं गरिमा बढ़ाने व उत्तर प्रदेश ने कोई निर्णय नहीं लिया।
लखनऊ : उत्तर प्रदेश कांग्रेस विधान परिषद दल के नेता दीपक सिंह ने कहा आज प्रदेश में बेरोजगारी की समस्या अत्यन्त कष्टदायी है, जिसका निदान करना प्रदेश की सरकार के लिए एक चुनौती के रूप में सामने है। अशिक्षित, अर्धशिक्षित और शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार दिलाने के नाम पर वर्तमान सरकार मात्र वादे कर रही है जबकि बेरोजगारों की समस्या का समाधान करने में वर्तमान सरकार की सभी व्यवस्थाएं विफल रही हैं। वर्ष-2017, अगस्त में भाजपा सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार के 17 विभागों में लाखों सरकारी रिक्त पदों को भरने हेतु 90 दिनों के भीतर प्रक्रिया की जाने की बात कही थी। परन्तु उक्त वादों को पूरा करने की बजाय सरकार द्वारा सीएए और एनआरसी आदि जैसे विभिन्न मुद्दों को उछाल कर प्रदेश के युवाओं का ध्यान भटकाने की कोशिशें की जा रही है। जहां सरकार ध्यान भटकाने वाली बातों पर जोर दे रही है। वहीं प्रदेश के बेरोजगारों युवाओं द्वारा एनआरयू बनाए जाने की मांग कर रही है।
दीपक सिंह ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2019 में अमेठी की जनता से 13 रूपये प्रति किलो की दर से चीनी देने का वादा, यह कहकर किया था कि, यह मोदी जी का संदेश है परन्तु आपकी सरकार बनते ही गरीबों को सरकारी गल्ले की दुकान से चीनी मिलना बन्द हो गई है। अमेठी की जनता ने आपके किये गये वादे पर भरोसा करके आपको मतदान किया था। इसकी वजह से अमेठी की जनता आपसे 13 रूपये प्रति किलो चीनी मिलने की आस लगाये बैठी है। घोषणा के बाद मैंने यूपी के मुख्यमंत्री से सदन में सवाल पूछा था कि क्या जनपद-अमेठी में आपकी सरकार द्वारा 13 रुपये प्रति किलो चीनी बेचने के किसी कार्ययोजना पर कार्य किया जा रहा है? जिसके जवाब में सदन के अन्दर आज मुझे लिखित रूप में जवाब मिला है। जिसमें उन्होनें गेंद पूरी तरह से केंद्र सरकार के पाले में दे दी है। यह बताया कि समस्त अन्त्योदय परिवारों को प्रतिमाह एक किलो चीनी का वितरण कराये जाने का निर्णय लिया गया है जिसकी बिक्रीदर का निर्धारण प्रक्रियाधीन है। गरीब परिवारों को सरकार द्वारा दी जा रही सुविधा से वंचित किया जाना कत्तई उचित नहीं है, इसे शीघ्र से शीघ्र निर्धारित किया जाये।
दीपक ने कहा देश के युवाओं को प्रोत्साहित करने और उनके द्वारा किए जा रहे सामाजिक कार्यों व योगदान को मान्यता देने के लिए भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय युवा पुरस्कार की स्थापना 1985 में की गयी थी । इसे हर साल युवा विकास और सामाजिक सेवाओं के विभिन्न क्षेत्रों में अमूल्य योगदान देने वाले युवाओं को दिया जाता है। पुरस्कार विजेताओं का पहले जनपद व राज्य और फिर राष्ट्रीय स्तर पर चयन किया जाता है ।वर्तमान समय में पूरे देश में राष्ट्रीय युवा पुरस्कार प्राप्त व्यक्तियों की संख्या लगभग 650 है उत्तर प्रदेश में यह संख्या 28 है। चिंतनीय विषय है राष्ट्रीय युवा पुरस्कार विजेताओं के सम्मान एवं गरिमा बढ़ाने व उत्तर प्रदेश के 28 विजेताओं के साथ अन्य युवाओं को प्रोत्साहित करने लिए अभी तक उत्तर प्रदेश सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया है। हरियाणा एवं गुजरात में राष्ट्रीय युवा पुरस्कार प्राप्त व्यक्तियों को बसों में यात्रा हेतु निशुल्क पास की व्यवस्था की गई है। महाराष्ट्र में राष्ट्रीय युवा पुरस्कार प्राप्त व्यक्तियों को प्रदेश के अंदर स्थित निरीक्षण भवनो ध्यूथ हॉस्टल में ठहरने हेतु सुविधा रियायती दरों पर प्रदान की गई व प्रदेश के बाहर राज्य अतिथि के रूप में मान्यता प्रदान की गई है, यह व्यवस्था उत्तर प्रदेश में भी कराई जा सकती है।