उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही सूबे की व्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रहे हों, लेकिन उनके ही मंत्री और अधिकारी इन दावों की मिट्टी पलीद करने से बाज नहीं आ रहे हैं। इसका ताजा उदारहण योगी सरकार द्वारा दिया गया एम्बुलेंस का ठेका है। दरअसल, आरोप लगाया जा रहा है कि यह ठेका एक ऐसी कंपनी को दिया गया है, जिसके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज है और सीबीआई को जांच सौंपी गई है। बहरहाल, इस मामले को लेकर योगी सरकार के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने जांच कराने का भरोसा जताया है।
योगी के अफसरों ने दागी कंपनी को दिया ठेका
दरअसल, उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद से ही वेंटिलेटर युक्त एएलएस एम्बुलेंस सेवा को स्वास्थ्य सेवाओं में शामिल कर लिया गया था। सरकार ने इस सेवा की आपूर्ति का कार्यभार जीवीकेईएमआरआई कंपनी को सौंपा था, जो अभी तक इस क्षेत्र में कार्य कर रही थी। जीवीकेईएमआरआई ने स्वास्थ्य क्षेत्र में सैकड़ों जीवन रक्षक वाहन मुहैया कराए।
हालांकि, इसी वर्ष 21 जनवरी को योगी सरकार ने एएलएस सेवा के संचालन के लिए टेंडर निकाला, जिसमें कई कंपनियों ने अपने-अपने हाथ आजमाएं। इसी क्रम में जिगित्सा हेल्थ केयर ने भी इस टेंडर को हासिल करने के लिए टेंडर भरा। इसी बीच कंपनी की शिकायत भी होना शुरू हो गई।
बहरहाल, यूपी में आला पदों पर विराजमान मेहरबान अफसरों पर इन शिकायतों का कोई भी प्रभाव नहीं पड़ा और इन अधिकारियों की मिलीभगत की वजह से टेंडर जिगित्सा हेल्थ केयर की ही झोली में आकर गिरा। इस टेंडर को देने के लिए अधिकारियों ने न तो टेंडर भरते वक्त जमा किये गए पपत्रों की जांच की और न ही टेंडर भरने वाली कंपनी की। विगत 7 जून को जिगित्सा हेल्थ केयर कंपनी द्वारा एम्बुलेंस संचालन के लिये आवश्यक स्टाफ की भर्ती के लिए दिए गए विज्ञापन ने सियासी गलियारों में हलचल तेज कर दी।
इस विज्ञापन के साथ ही राजस्थान की पूर्व सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार में हुए 108 एम्बुलेंस घोटाले का मामला उठाया है। दरअसल, इस घोटाले का आरोप उसी कंपनी पर है जिसे यूपी सरकार ने जीवन रक्षक वाहनों की आपूर्ति के लिए ठेका दिया है। इस मामले में जिगित्सा हेल्थ केयर के खिलाफ कई गंभीर आरोपों के साथ मामला दर्ज किया गया है। जिसकी जांच सीबीआई को सौंपी गई है। 10 करोड़ से ज्यादा के इस घोटाला मामले में जिगित्सा हेल्थ केयर पर आरोप है कि कंपनी ने काल्पनिक चक्करों के फर्जी बिल बनाकर विभाग को सौंपे और अधिकारियों की मिलीभगत से उसका भुगतान भी करा लिया.
इस मामले को लेकर एक न्यूज पोर्टल से बातचीत करते हुए उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा है कि इसकी जानकारी एसीएस व एनएचएम निदेशक से ली जाएगी। साथ ही उन्होंने कहा कि जहां तक उन्हें जानकारी मिली है एएलएस एम्बुलेंस में कंपनी ने टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा लिया था। वह टेंडर में एल-वन रही। इसके अलावा टेंडर प्रक्रिया में कंपनी का 3 साल का बैकग्राउंड व 3 साल की ऑडिट से संबंधित रिपोर्ट व दस्तावेजों की पड़ताल की गई है। विभाग के अधिकारियों द्वारा यह सब दस्तावेज देखने के बाद भी कमी नहीं पाई गई तो उस कंपनी को टेंडर दिया गया। उसके रेट के आधार पर काम दिया गया और वही काम अभी चल रहा है। इसके अलावा यदि कंपनी पर सीबीआई जांच व ब्लैक लिस्टेड जैसे कोई प्रणाम मिलते हैं तो मामले की जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।
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इसके साथ ही जिगित्सा हेल्थ केयर ने पूर्व में जीवन दायिनी स्वास्थ विभाग में 108, 102, ALS में कार्यरत कर्मचारियों को निकालकर नई भर्ती शुरू कर दी है। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा इन लोगो को कोरोना योद्धा घोषित किया गया था। इन लोगो के सामने कोरोना काल मे नॉकरी चले जाने के कारण रोजी रोटी की समस्या पैदा हो गयी है इसके विरोध में कंपनी के कर्मचारियो कोर्ट मुकदमा दायर किया है जिसकी जानकारी उनके वकील अभिनव नाथ त्रिपाठी के द्वारा प्राप्त हुई है।