उत्तर प्रदेश सरकार ने साल 2030 तक प्रदेश के निर्यात को तीन गुना बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस लक्ष्य को पूरा करने में खेती अहम भूमिका निभाने वाली है। निर्यात के राष्ट्रीय आंकड़ों की ओर देखें तो कोविड-19 के बाद से ही कृषि एवं खाद्य पदार्थों के निर्यात में लगातार बढ़ोतरी हुई है। 2023-2024 की तुलना में 2024-2025 में कृषि और खाद्य पदार्थों के निर्यात में बढ़ोतरी दर 10 फीसद रही है। वहीं, देश को फलों और सब्जियों के निर्यात के लिए नए बाजार मिले हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश कृषि निर्यात मोर्चे पर अहम भूमिका निभा सकता है।
इस बीच प्रयाग से हल्दिया के इकलौते अंतरराज्यीय जलमार्ग के कारण पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों से खाड़ी के देशों को सब्जियों के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है। कोविड के बाद सेहत को लेकर लोगों में बढ़ी जागरूकता ने अमेरिका समेत कई देशों में ऑर्गेनिक उत्पादों की मांग बढ़ी है। यूरोप और अमेरिका जैसे देशों में आयात के लिए कृषि उत्पादों की गुणवत्ता को लेकर बेहद सख्त हैं। इस कारण यूपी सरकार निर्यात के मानकों को सुनिश्चित करने के लिए एशिया के सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट (जेवर) के पास एक्सपोर्ट हब विकसित कर रही है। इस हब में गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए अत्याधुनिक प्रयोगशाला भी होगी। ऑर्गेनिक उत्पादों की मांग से प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को भी फायदा मिलने की संभावना है।
गुणवत्ता सुनिश्चित करने के साथ सरकार का फोकस कृषि विविधीकरण और प्राकृतिक खेती पर भी है। इस क्रम में पहले से ही पूरे बुंदेलखंड, गंगा के बहाव क्षेत्र में उसके दोनों किनारों पर प्राकृतिक खेती पहले से हो रही है। अब क्रमबद्ध तरीके से सरकार प्राकृतिक खेती को पूरे प्रदेश में प्रोत्साहित कर रही है। निर्यात को बढ़ावा देने में विश्व बैंक के सहयोग से बुंदेलखंड और पूर्वांचल पर केंद्रित यूपी एग्रीज जैसी योजनाएं भी मददगार साबित हो सकती हैं।
कृषि और खाद्य उत्पादों के माध्यम से प्रदेश के कुल निर्यात को बढ़ावा मिलने की संभावनाओं को की वजहों से बल मिलता है, जैसे दुनिया की सबसे उर्वरक भूमि इंडो गंगेटिक बेल्ट का सर्वाधिक हिस्सा उत्तर प्रदेश में ही है, गंगा, यमुना, सरयू जैसी नदियों में पूरे साल पानी रहता है। वहीं, सिंचित क्षेत्र का बढ़ाने पर भी यूपी सरकार का फोकस है। वहीं,उत्तर प्रदेश के नौ तरह के कृषि जलवायु क्षेत्र, हर तरह की फसल, सब्जी और फल उत्पादन के लिए राज्य को उपयुक्त बनाते हैं। वहीं, सबसे अधिक आबादी वाला प्रदेश होने के कारण यूपी में श्रम भी अपेक्षाकृत सस्ता है। इन सभी कारकों के कारण उत्तर प्रदेश कई खाद्य पदार्थों और फलों एवं सब्जियों के उत्पादन में देश में नंबर एक पर है।